एक साल में डबल हो गए भारत की नागरिकता छोड़ने वाले, क्यों Indians को रास आ रहा विदेश
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एक साल में डबल हो गए भारत की नागरिकता छोड़ने वाले, क्यों Indians को रास आ रहा विदेश

Gujaratis Leaving India: भारतीय नागरिकता छोड़कर विदेश में घर बसा रहे हैं गुजराती. तेजी से बढ़ रहा पासपोर्ट सरेंडर करने का आंकड़ा. भारतीय युवाओं के इस कदम के पीछे कई चौंकाने वाले कारण भी सामने आए हैं.

एक साल में डबल हो गए भारत की नागरिकता छोड़ने वाले, क्यों Indians को रास आ रहा विदेश

Gujaratis Leaving Indian Citizenship: गुजरातियों द्वारा भारतीय पासपोर्ट छोड़ने का चलन बढ़ता जा रहा है. 2021 से अब तक 1187 गुजरातियों ने भारतीय नागरिकता छोड़कर दूसरे देशों में घर बसा लिया है. गुजरातियों के लिए कनाडा पहली पसंद बनता जा रहा है. ऐसे कई केस हैं जो कनाडा के प्रति गुजरातियों के एक बड़े रुझान को दर्शाती है. पढ़ाई के लिए कनाडा गए कई गुजराती कनाडा बस गए.

गुजरात के युवाओं को लगी विदेश की हवा

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात के युवा पढ़ाई के लिए कनाडा जा रहे हैं. पढ़ाई पूरी होने के बाद करियर सेट करने की जुगत में जुट जा रहे हैं. कनाडा की नागरिकतना मिलने के बाद वे भारतीय नागरिकता छोड़कर वहीं बस जा रहे हैं. कनाडा की नागरिकता मिलने के बाद कई गुजराती अपना भारतीय पासपोर्ट सरेंडर कर चुके हैं.

2021 से अब तक 1187 गुजरातियों ने छोड़ी भारतीय नागरिकता

रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि जनवरी 2021 से अब तक 1187 गुजरातियों ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी है. क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक 2023 में 485 पासपोर्ट सरेंडर किए गए, जो 2022 से दोगुना है.  इनमें से ज्यादातर लोग 30 से 45 आयु वर्ग के हैं और अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में रह रहे हैं.

चौंकाने वाले हैं ये आंकड़े

अखिल भारतीय आंकड़ों को देखें तो 2014 से 2022 के बीच 22,300 गुजरातियों ने नागरिकता छोड़ी. यह संख्या देश में दिल्ली (60,414) और पंजाब (28,117) के बाद तीसरे स्थान पर है. कोविड के बाद पासपोर्ट सरेंडर में तेजी आई है. इसका एक कारण दूतावासों का फिर से खुलना और नागरिकता प्रक्रियाओं का शुरू होना है.

पढ़ाई के लिए जाते हैं और फिर वहीं बस जाते हैं..

विदेश जाने वाले ज्यादातर युवा पढ़ाई के लिए जाते हैं और फिर वहीं बस जाते हैं. इसके अलावा बेहतर जीवनयापन की उम्मीद में भी लोग विदेश जा रहे हैं. निवेशक वीजा सलाहकार ललित अडवाणी बताते हैं कि कारोबारी बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और जीवनशैली के लिए विदेश जा रहे हैं. यहां तक जिनके पास भारत में अच्छा जीवन स्तर है वो भी प्रदूषण और खराब सड़कों जैसी समस्याओं से परेशान होकर विदेश जाने का सोच रहे हैं.

पासपोर्ट सरेंडर की संख्या और बढ़ सकती है..

संबंधित अधिकारी ने कहा कि आने वाले समय में पासपोर्ट सरेंडर की संख्या और बढ़ सकती है. वह बताते हैं कि 2012 के बाद से विदेश जाने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है. और जो लोग विदेश जाकर बस गए हैं वो अब वहां की नागरिकता हासिल कर रहे हैं.

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