धमतरी के कुरूद ब्लाक अंतर्गत गोबरा गांव में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां पूर्व सरपंच ने 400 से अधिक ग्रामीणों के फर्जी पट्टे बनवा दिए. 4 साल हुए सीमांकन के बाद जब तहसीलदार अतिक्रमण हटाने पहुंचे तो मामले का खुलासा हुआ.
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देवेंद्र मिश्रा/धमतरी: कुरूद ब्लाक अंतर्गत गोबरा गांव में ग्रामीणों पूर्व सरपंच के खिलाप लामबंद हो गए हैं. दरअसल मामला ग्रामीणों को फर्जी पट्टा बांटने से जुड़ा हुआ है. इसके खिलाफ ग्रामीणों ने कलेक्टर से शिकायत की है. उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि पूर्व सरपंच ने उनसे कुछ पैसे लेकर भू-अधिकार का प्रमाणपत्र दिया था. बाद में पता चला की वो फर्जी हैं. उन्होंने उन जमीनों पर निर्माण कर लिए है, जिसमें उनकी जमा पूंजी लगी है. इस कारण उन्हें न तोड़ा जाए.
कलेक्टर से की शिकायत
दरअसल जिले के कुरूद विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत गोबरा के ग्रामीण कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे. उन्होंने कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर कहा कि वे सभी पिछले 30 वर्षों से गोबरा के जमीन में काबिज हैं. उक्त जमीन पर वो मकान निर्माण भी कर रहे हैं. कुछ ग्रामीणों द्वारा तहसीलदार के पास शिकायत की गई है कि निर्माण अवैध हैं, जिस कारण तहसीलदार अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कर रहे हैं.
2008-09 में दिए गए थे भू-अधिकार पत्र
इन ग्रामीणों का कहना है कि तत्कालीन सरपंच ने वर्ष 2008-09 में उन्हें भू-अधिकार पत्र दिया था, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व मंत्रियों और सरपंच की फोटो लगी हुई है. प्रमाण पत्र में कुछ नियम भी लिखे हुए थे. ग्रामीणों ने कुछ अधिकारियों को पंचायत द्वारा दिए गए पट्टे दिखाए तब पता चला कि सरपंच को इस तरह पट्टा देने का अधिकार नहीं है.
ग्रामीणों से की प्रशासन से अपील
पंचायत द्वारा जारी किए गए पटे वैध है या अवैध, यह जांच का विषय है. जांच होने पर ही आगे कार्यवाही हो सकती है. बहरहाल गांव के 435 लोगों को पट्टा दिया गया था. जिसके लिए कुछ राशि भी जमा कराई गई थी. ग्रामीणों का कहना है कि जानकारी लेने पर उन्हें उल्टा धमकाया भी जाता है. इसकी शिकायत प्रशासन और पुलिस के समक्ष करते हुए ग्रामीणों ने दोषियों पर कार्रवाई मांग की साथ ही उन्होंने अपील की कि उनका मकान न तोड़ा जाए.
कलेक्टर ने कही जांच के बाद कार्रवाई की बात
इस मामले पर संयुक्त कलेक्टर ऋषिकेश तिवारी का कहना है कि गोबरा के ग्रामीणों की शिकायत मिली है. पूर्व सरपंच द्वारा पट्टा वितरण किया गया है, जिसकी सत्यापन के संबंध में एसडीएम तहसीलदार को जांच के लिए कहा गया है. जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके हिसाब से कार्रवाई की जाएगी.
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