श्री सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने पर भड़का जैन समाज, जानिए तीर्थ स्थल बनाने की क्यों हो रही मांग?
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श्री सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने पर भड़का जैन समाज, जानिए तीर्थ स्थल बनाने की क्यों हो रही मांग?

2 अगस्त 2019 को तत्कालीन झारखंड सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय वन मंत्राल ने सर्वोच्च जैन तीर्थ श्री सम्मेद शिखर को वन्य जीव अभ्यारण्य घोषित कर पर्यावरण पर्यटन और अन्य गैर धार्मिक गतिविधियों की अधिसूचना जारी की थी. उल्लेखनीय है कि इसके लिए जैन समाज से आपत्ति या सुझाव भी नहीं लिए गए.

श्री सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने पर भड़का जैन समाज, जानिए तीर्थ स्थल बनाने की क्यों हो रही मांग?

राहुल सिंह राठौर/उज्जैनः अवंतिका नगरी उज्जैन में रविवार को सुबह जैन समुदाय के लोग एक साथ सड़कों पर उतरे. दरअसल जैन समाज के लोग झारखंड में स्थित सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित करने का विरोध कर रहे हैं. जैन समाज की मांग है कि सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल की बजाय तीर्थ स्थल घोषित किया जाए.

रविवार सुबह आर्यिका पूर्णमति माताजी के नेतृत्व में ऋषिनगर से लेकर जयसिंह पुरा तक जैन समाज ने मौन रैली निकाली. सुबह 9 बजे सिंधि कॉलोनी चौराहे पर जैन समुदाय ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और पर्यावरण मंत्रालय के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा. सामाजिक संसद दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष अशोक जैन ने बताया कि जैन संगठनों द्वारा ज्ञापन में मांग रखी गई है कि पारस नाथ पर्वतराज को वन्य जीव अभ्यारण्य, पर्यावरण पर्यटन के लिए घोषित इको सेंसिटिव जोन की सूची से बाहर किया जाए. जैन समाज का कहना है कि वहां पर्यटन स्थल रहेगा तो मांस मदिरा का सेवन भी लोग करेंगे. वह तीर्थ स्थल है और उसका संरक्षण करना हम सभी की जिम्मेदारी है.

क्या है पूरा मामला
बता दें कि 2 अगस्त 2019 को तत्कालीन झारखंड सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय वन मंत्राल ने सर्वोच्च जैन तीर्थ श्री सम्मेद शिखर को वन्य जीव अभ्यारण्य घोषित कर पर्यावरण पर्यटन और अन्य गैर धार्मिक गतिविधियों की अधिसूचना जारी की थी. उल्लेखनीय है कि इसके लिए जैन समाज से आपत्ति या सुझाव भी नहीं लिए गए. यहां सालों से काम कर रहीं जैन संस्थाओं को भी अधिसूचना की कॉपी उपलब्ध नहीं कराई गई. इसके विरोध में विश्व जैन संगठन ने 17 मार्च 2022 को केंद्रीय वन मंत्रालय और झारखंड सरकार को इस अधिसूचना को रद्द करने की मांग की. सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने पर विश्व जैन संगठन ने 26 मार्च, 6 जून और 2 अगस्त 2022 को देशव्यापी शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया. 24 मार्च 2022 को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने भी झारखंड सरकार को इस मामले में कार्रवाई के लिए पत्र लिखा लेकिन उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई. 

अध्यक्ष ने बताया कि झारखंड स्थित 20 जैन तीर्थंकरों और अनंत संतों के मोक्षस्थल श्री सम्मेद शिखर पारसनाथ पर्वतराज गिरिडीह की पवित्रता नष्ट करने वाली केंद्रीय वन मंत्रालय की अधिसूचना को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए. जैन समाज की मांग है कि पारसनाथ पर्वतराज और मधुबन को मांस मदिरा बिक्री मुक्त घोषित किया जाए. पर्वतराज की वंदना मार्ग से अतिक्रमण, वाहन संचालन और अभक्ष्य सामग्री की बिक्री से मुक्त रखा जाए. साथ ही यात्री पंजीकरण, सामान जांच के लिए सीआरपीएफ दल और स्कैनर, सीसीटीवी कैमरे सहित दो चेक पोस्ट, चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था की जाए. लोगों की मांग है कि पर्वतराज से पेड़ों का अवैध कटान, पत्थरों का अवैध खनन और महुआ के लिए जंगलों में आग लगाने पर प्रतिबंध लगे.   

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