Manipur New CM: यह तस्वीर कुछ महीने पहले की है. हाल के पांच वर्षों में गृह मंत्री अमित शाह की आंतरिक सुरक्षा को लेकर बनी हर रणनीति में वह शख्स शामिल रहे हैं. इस तस्वीर में जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा हालात पर बैठक देखी जा रही है. अब मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद शाह के इसी 'राइट हैंड' को बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है.
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गृह मंत्री अमित शाह को राजनीतिक गलियारों में 'भाजपा का चाणक्य' यूं ही नहीं कहा जाता. दो साल से अशांत चल रहे मणिपुर की सरकार चला रहे सीएम बीरेन सिंह का इस्तीफा अचानक नहीं हुआ है. इसकी पटकथा 40 दिन पहले ही लिखी जा चुकी थी. हां, 2024 जाते-जाते मणिपुर का गवर्नर बदला जाना इसकी प्रारंभिक कड़ी थी. फिलहाल देशभर में दिल्ली से लेकर मणिपुर के नए सीएम के नामों पर चर्चा हो रही है. दिल्ली में तमाम फैक्टर को देखते हुए भाजपा हाईकमान को फैसला लेना है लेकिन मणिपुर का सीन कुछ अलग दिख रहा है. वहां शाह के 'राइट हैंड' को ही कमान सौंपी जा सकती है. कुछ-कुछ जम्मू कश्मीर स्टाइल में हालात को सामान्य बनाने की तैयारी है.
वो राइट हैंड कौन?
आपके मन में यही सवाल होगा कि वो 'राइट हैंड' कौन हैं? इसे समझने के लिए 40 दिन पहले के घटनाक्रम को देखना होगा. विपक्ष के बढ़ते सवालों और आरोपों के बीच 24 दिसंबर को अचानक राष्ट्रपति भवन की ओर से आदेश जारी होता है. अजय कुमार भल्ला (Manipur Governor Ajay Kumar Bhalla) को मणिपुर का नया राज्यपाल बनाया गया. पंजाब से ताल्लुक रखने वाले भल्ला असम-मेघालय कैडर के 1984 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं. इससे पहले अगस्त में गृह सचिव के रूप में उनका कार्यकाल समाप्त हो गया था. गौर करने वाली बात यह है कि भल्ला का कार्यकाल काफी लंबा रहा है. विदेश से एमबीए की डिग्री लेने वाले भल्ला को कई बार विस्तार मिला. मई 2023 में जब भल्ला गृह सचिव थे, उसी समय मणिपुर में जातीय हिंसा शुरू हो गई थी.
भाजपा को टाइमिंग की तलाश थी
दिसंबर के आखिर में उन्हें मणिपुर भेजने के पीछे केंद्र की सोची-समझी प्लानिंग थी. इसके बाद भाजपा को सही समय की तलाश थी, जिससे सीएम फेस पर उठते सवालों को शांत किया जा सके. बीजेपी के कई विधायक भी इस पक्ष में थे कि सीएम को इस्तीफा देना चाहिए. फुटबॉलर के रूप में करियर की शुरुआत करने वाले बीरेन सिंह हाल में ऑडियो टेप लीक को लेकर नए विवाद में घिर गए. दिल्ली चुनाव के कारण भाजपा शांत रही और नतीजा पक्ष में आते ही मणिपुर पर फैसला ले लिया गया.
हां, दिल्ली में सुबह शाह के साथ सीएम की मुलाकात होती है और शाम में बीरेन सिंह सीधे राजभवन पहुंच जाते हैं. वहां, गवर्नर के पद पर कोई और नहीं वही मिलते हैं जिन्हें कभी शाह का 'राइट हैंड' कहा जाता था.
मणिपुर में आगे क्या?
अब केंद्र सरकार यानी पीएम मोदी और गृह मंत्री शाह को पूरी उम्मीद है कि गवर्नर साहब सब संभाल लेंगे. आप इसे दूसरे तरह से भी समझ सकते हैं कि फिलहाल जम्मू-कश्मीर जैसा प्रशासन मणिपुर में चलाया जा सकता है मतलब कुछ समय के लिए वहां के केस में राष्ट्रपति शासन लगाकर मणिपुर की जिम्मेदारी राज्यपाल के कंधों पर डाली जा सकती है. इस तरह से मणिपुर सीधे केंद्र के हाथों में रहेगा.
शाह को गवर्नर अजय कुमार भल्ला पर कितना भरोसा है, इसका अंदाजा इसी से लगा लीजिए कि ब्यूरोक्रेट रहते हुए पांच दशक में दूसरी बार भल्ला पांच साल से ज्यादा समय तक गृह सचिव बने रहे. अब शाह की रणनीति के तहत मणिपुर के हालात को संभालने की जिम्मेदारी भल्ला खुद ले सकते हैं. अगर ऐसा ही हुआ तो केंद्र सरकार गवर्नर को अपने हिसाब से मैतेयी और कूकी समूहों के बीच शांति स्थापित करने के लिए खुली छूट दे सकती है. अगले कुछ दिनों में स्थिति साफ हो जाएगी.