Madhya Pradesh High Court: अदालत ने कहा कि एक बच्चे को माता-पिता दोनों का प्यार और स्नेह पाने का अधिकार है और इसी तरह, माता-पिता को भी बच्चे का प्यार और स्नेह पाने का अधिकार है.
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Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक शख्स की तलाक याचिका को अनुमति देते हुए एक हालिया आदेश में कहा कि अगर कोई मां अपने बच्चे को उसके अपने पिता के खिलाफ भड़काती है, तो यह क्रूरता है और यह तलाक का आधार है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह देखते हुए कि जस्टिस शील नागू और विनय सराफ की पीठ ने कहा, ‘क्रूरता को कभी भी सटीकता के साथ परिभाषित नहीं किया जा सकता है और यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है.’
फैमिली कोर्ट के आदेश को किया रद्द
हाई कोर्ट ने अपने 1 मार्च के फैसले में फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया. हाई कोर्ट ने कहा कि जबलपुर फैमिली कोर्ट ने उस व्यक्ति की तलाक याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि वह अपनी पत्नी के खिलाफ क्रूरता के आरोप को साबित करने में विफल रहा था, लेकिन उसने इस पहलू पर विचार नहीं किया.
पत्नी ने जुलाई 2014 में याचिकाकर्ता पति को छोड़ दिया, जब वह गर्भवती थी और फिर कभी वापस नहीं लौटी. उसने 4 दिसंबर 2014 को एक लड़की को जन्म दिया.
पति ने अपनी बेटी से मिलने की कोशिश की, लेकिन नहीं मिल सका, इसलिए उसने हिरासत के लिए पारिवारिक अदालत का दरवाजा खटखटाया.
‘आदेश का पालन नहीं किया गया’
हाई कोर्ट ने कहा कि 18 मई, 2017 को पारिवारिक अदालत ने पति को अपनी बेटी से मिलने की अनुमति दी, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं किया गया.
तलाक की सुनवाई के दौरान, पारिवारिक अदालत ने बार-बार बच्चे की उपस्थिति के लिए कहा ताकि वह अपने पिता से मिल सके, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. इसके बाद पिता ने हाईकोर्ट का रुख किया.
‘बच्चे को माता-पिता दोनों का प्यार पाने का अधिकार’
अदालत ने कहा कि एक बच्चे को माता-पिता दोनों का प्यार और स्नेह पाने का अधिकार है और इसी तरह, माता-पिता को भी बच्चे का प्यार और स्नेह पाने का अधिकार है.
हाई कोर्ट ने कहा, ‘चूंकि बच्चा मां की हिरासत में था, इसलिए मां ने बच्चे में पिता के लिए प्यार, स्नेह और भावनाएं पैदा करने के लिए एक संरक्षक माता-पिता के रूप में अपने कर्तव्य का उल्लंघन किया... (और) अपने पति को अपने नाबालिग बेटी से दूर रखने की कोशिश की और उसे अपने ही पिता के खिलाफ बोलने के लिए सिखाया.’