'एक साल में सवा लाख पुरुषों ने किया सुसाइड', BJP सांसद ने ही संसद में रख दी बड़ी मांग
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'एक साल में सवा लाख पुरुषों ने किया सुसाइड', BJP सांसद ने ही संसद में रख दी बड़ी मांग

Prevention of suicide: सांसद ने महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा और शोषण से जुड़े कानूनी प्रावधानों के दुरुपयोग पर चिंता जताई और झूठे आरोपों का सामना करने वाले पुरुषों के लिए पर्याप्त कानूनी और भावात्मक समर्थन की मांग उठाई है.

'एक साल में सवा लाख पुरुषों ने किया सुसाइड', BJP सांसद ने ही संसद में रख दी बड़ी मांग

Suicide prevention: कुछ समय पहले बेंगलुरू के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष और कर्नाटक के ही एक पुलिसकर्मी की आत्महत्या के मामलों ने पूरे देश की सुर्खियां बटोरी थीं. दोनों ही मामलों में सुसाइड करने वालों ने अपनी पत्नी पर अमानवीय बरताव करने और देश के कड़े कानूनों में फंसाने की धमकी देकर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था. इसके साथ ही देश के कई शहरों में पुरुषों की सुसाइड के मामले सामने आने के बाद देश में महिला कानूनों के दुरुपयोग को लेकर बड़ी बहस छिड़ गई थी. एक महीने बाद अब उन सुसाइड मामलों की गूंज संसद में सुनाई दी. संसद के बजट सत्र के प्रथम चरण के तीसरे दिन सोमवार को ये मामला भारतीय जनता पार्टी (BJP) के एक सांसद ने राज्यसभा में उठाया.

जेंडर न्यूट्रल कानून की मांग

बीजेपी (BJP) सांसद ने महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा और शोषण से जुड़े कानूनी प्रावधानों के दुरुपयोग पर चिंता जताई और झूठे आरोपों का सामना करने वाले पुरुषों के लिए पर्याप्त कानूनी और भावात्मक समर्थन की मांग उठाई है. शून्यकाल के दौरान मामले को उठाते हुए सांसद दिनेश शर्मा ने बेंगलुरु की निजी कंपनी में काम करने वाले अतुल सुभाष के सुसाइड केस का जिक्र किया और घरेलू हिंसा तथा उत्पीड़न से जुड़े कानून को लिंग-निरपेक्ष (जेंडर न्यूट्रल) बनाए जाने की मांग राज्यसभा में की.

एक साल में सवा लाख से ज्यादा केस

मूल रूप से बिहार के रहने वाले सुभाष ने अपने ‘सुसाइड नोट’ में पारिवारिक विवाद और उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे. शर्मा ने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि वर्ष 2022 में भारत में आत्महत्या करने वालों में 72 प्रतिशत यानी 1,25,000 पुरुष थे जबकि महिलाओं की संख्या लगभग 47,000 थी. उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से 2021 के बीच पुरुष और महिलाओं के आत्महत्या के अनुपात में काफी वृद्धि हुई है और इस दौरान 107.5 प्रतिशत अधिक पुरुषों ने पारिवारिक समस्याओं को आत्महत्या का कारण बताया. पुरुष और महिलाओं के लिए संतुलित कानूनी सुरक्षा की जरूरत पर बल देते हुए शर्मा ने कहा कि कानून ने महिलाओं को घरेलू हिंसा और शोषण से बचाने में बहुत प्रगति की है लेकिन ऐसी ही हिंसा और शोषण से पुरुषों के लिए सुरक्षा का अभाव चिंता का विषय है.

पुरुषों के बचाव का कानून नहीं!

अतुल सुभाष केस का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘यह घटना इस बात पर रोशनी डालती है कि झूठे आरोपों का सामना करने वाले पुरुषों के लिए पर्याप्त कानूनी और भावात्मक समर्थन नहीं है. भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 के प्रावधानों के दुरुपयोग की समस्या भी गंभीर चिंता का विषय है. मैं अनुरोध करता हूं कि घरेलू हिंसा और उत्पीड़न से जुड़े कानून को जेंडर न्यूट्रल बनाया जाए ताकि सभी के साथ न्याय हो सके. अगर सिस्टम की कमी के कारण एक भी व्यक्ति अपनी जान दे देता है तो यह हमारे लिए आत्ममंथन का समय है. झूठे आरोप लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि न्याय प्रणाली की निष्पक्षता और सच्चाई बरकरार रखी जा सके.’

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BNS की धारा 85 में जिक्र है कि ‘जो कोई भी व्यक्ति किसी महिला का पति या पति का रिश्तेदार होने के नाते, किसी भी महिला के साथ क्रूरता करता है, उस व्यक्ति पर BNS की धारा 85 के तहत मामला दर्ज कर कार्यवाही की जाएगी. सरल शब्दों में, यह धारा ऐसे व्यक्ति पर लागू होती है जिसमें किसी महिला का पति या पति का कोई भी रिश्तेदार, महिला पर क्रूरता (किसी को पीड़ा पहुंचाना) करता है. इसमें महिला को पहुंचाया गया शारीरिक और मानसिक नुकसान दोनों शामिल हैं.(इनपुट: भाषा)

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