LNJP अस्पताल में भी भयानक मंजर.. कभी इधर-कभी उधर, अपनों की तलाश में व्याकुल रहे परिजन
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LNJP अस्पताल में भी भयानक मंजर.. कभी इधर-कभी उधर, अपनों की तलाश में व्याकुल रहे परिजन

LNJP Hospital victims: हमेशा यात्रियों से घिरा रहने वाला नई दिल्ली रेलवे स्टेशन शनिवार रात अचानक मौत के कुचक्र में बदल गया. लोग एक-दूसरे को कुचलते हुए भाग रहे थे. इस हादसे ने रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े ही किए उधर लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल में भयावह स्थिति देखने को मिली.

LNJP अस्पताल में भी भयानक मंजर.. कभी इधर-कभी उधर, अपनों की तलाश में व्याकुल रहे परिजन

New Delhi Railway Station stampede: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात मची भगदड़ ने 18 लोगों की जान ले ली और दर्जनों लोग घायल हो गए. घटना के बाद लोक नायक जय प्रकाश LNJP अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल रहा जहां परिजन अपने अपनों की तलाश में भटकते नजर आए. अस्पताल में भारी पुलिस बल तैनात था लेकिन परिजनों को अपनों के बारे में सही जानकारी नहीं मिल पा रही थी. दर्द और चीख-पुकार की इंतेहां सिर्फ स्टेशन पर ही नहीं दिखी बल्कि अस्पताल में भी दिखी जब अपने परिजनों के लिए लोग व्याकुल हो उठे.

'कोई कुछ बताने को तैयार नहीं'
असल में अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजन जब वहां पहुंचे तो उन्हें मायूसी हाथ लगी. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में वहां के हालत के बारे में बताया गया है. वीरेंद्र नाम के एक शख्स ने रोते हुए कहा कि कोई सुविधा नहीं है. कोई कुछ बताने को तैयार नहीं है... कब से दौड़ रहे हैं. लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा. उनकी पत्नी पूनम रोहिल्ला भी भगदड़ की शिकार हो गईं जिन्हें घंटों की तलाश के बाद मृत पाया गया.

'तब तक बहुत देर हो चुकी थी..'
इसी तरह हरियाणा के पानीपत के रहने वाले संतोष महतो की पत्नी ललिता देवी 35 भी इस हादसे का शिकार हो गईं. जैसे ही संतोष को खबर मिली वह तुरंत अस्पताल पहुंचे लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. संतोष ने गहरे सदमे में कहा कि मैं पानीपत में था तभी खबर मिली कि यह सब दिल्ली में हुआ है. मेरा बेटा और भांजा भी उसके साथ थे. अब उनके तीन बच्चे अपनी मां के पार्थिव शरीर को घर ले जाने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इस त्रासदी ने उनके परिवार को गहरा जख्म दे दिया है.

डॉक्टर लगातार घायलों के इलाज में..
हालांकि अस्पताल के अंदर डॉक्टर लगातार घायलों के इलाज में जुटे थे. LNJP अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ सुरेश कुमार समेत वरिष्ठ चिकित्सक इमरजेंसी वार्ड में मरीजों की हालत संभालने में लगे थे. भगदड़ में मारे गए लोगों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए अस्पताल की मोर्चरी में भेज दिया गया जबकि गंभीर रूप से घायलों को आईसीयू और ऑर्थोपेडिक्स वार्ड में भर्ती कराया गया. परिजन अपने प्रियजनों की तलाश में अस्पताल में इधर-उधर दौड़ते रहे.

'मैंने मना किया था मत जाओ लेकिन..'
रिपोर्ट के मुताबिक इस हादसे में 47 वर्षीय सीलम गिरी की भी जान चली गई. वह अपने पति और बेटे के साथ कुंभ मेले की यात्रा पर निकली थीं. उनके पति उमेश गिरी घायल हैं और अस्पताल में भर्ती हैं. लेकिन बेटे अमन गिरी के लिए यह हादसा एक बुरे सपने जैसा है. उन्होंने दुखी होकर कहा कि मैंने मना किया था मत जाओ लेकिन मां ने मेरी नहीं सुनी. भगदड़ के दौरान भारी भीड़ में फंसने के कारण सीलम गिर पड़ीं और उनकी जान चली गई.

उधर घटना के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना और पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी समेत कई वरिष्ठ नेता अस्पताल पहुंचे और हालात का जायजा लिया. लेकिन परिजनों का गुस्सा फूटा कि प्रशासन की तरफ से मदद देर से पहुंची. एक पीड़ित पप्पू ने कहा कि एंबुलेंस आने में 30-35 मिनट लग गए, अगर समय पर मदद मिलती तो शायद जान बच सकती थी.

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