Baran News: शवयात्रा पर मधुमक्खियों ने बोला हमला, शव छोड़ अपनी जान बचाकर भागे लोग, नहीं हो सका अंतिम संस्कार
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Baran News: शवयात्रा पर मधुमक्खियों ने बोला हमला, शव छोड़ अपनी जान बचाकर भागे लोग, नहीं हो सका अंतिम संस्कार

Baran News: बारां के देवरी कस्बे के पास सड़ गांव में मृतक का शुक्रवार शाम तक अंतिम संस्कार नहीं हो सका. अंतिम संस्कार न होने की वजह जान आप हैरान रह जाएंगे. 

Baran News: शवयात्रा पर मधुमक्खियों ने बोला हमला, शव छोड़ अपनी जान बचाकर भागे लोग, नहीं हो सका अंतिम संस्कार

Baran News: बारां के देवरी कस्बे के पास सड़ गांव में मृतक का शुक्रवार शाम तक अंतिम संस्कार नहीं हो सका. दरअसल, शवयात्रा लेकर पहुंचे लोगों पर मधुमक्खियों के झुंड ने हमला बोल दिया. एक दर्जन से अधिक लोगों पर मधुमक्खियों ने हमला कर डंक मारे. घायलों को अस्पताल ले जाया गया. हमले की दहशत इतनी थी कि देर शाम तक अंत्येष्टि नहीं हो सकी थी.

शुक्रवार को सड़ गांव के बुजुर्ग गंगाराम जाटव का स्वर्गवास हो गया. उसकी शवयात्रा में उनके रिश्तेदार, परिजन, परिचित ढाई तीन सौ व्यक्ति शवयात्रा में शामिल थे. शवयात्रा जैसे ही मुक्तिधाम के पास पहुंची, अचानक से लोगों पर मधुमक्खियों ने हमला कर दिया.

दर्जनों लोग मधुमक्खियों के काटने पर जख्मी हो गए. कुछ लोग आनन-फानन में खेतों में गिरते-पड़ते गांव तक पहुंचे. कुछ लोगों को निजी वाहन से अस्पताल ले जाकर उपचार कराया तो कुछ लोगों को एम्बुलेंस से राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शाहाबाद भेजा गया. मुक्तिधाम से शव को वापिस उठाकर खेतों के पास रखा, जहां परिजन बैठे रहे.

ग्रामीणों ने बताया कि शव यात्रा के दौरान जो लोग शव यात्रा में शामिल हुए, उन पर मधुमक्खियों ने अचानक हमला कर दिया. इसे समाज के लोग, रिश्तेदार, परिजन आदि दर्जनों लोगों में भगदड़ मच गई. कुछ लोग ज्यादा जख्मी होने के कारण वहीं पर चीखने-चिल्लाने लगे.

आसपास खेतों में काम कर रहे लोगों ने सुनी तो वे मदद के लिए पहुंचे. मधुमक्खियों के हमले से बचने के लिए लोग खेतों में खड़ी सरसों और गेहूं फसल में जान बचाते नजर आए. कुछ लोग दहशत के कारण देर तक खेत में छुपकर बैठे रहे.

परिजनों के अनुसार गांव में मधुमक्खी पालन करने वाले लोगों से दो जोड़ी सुरक्षा कोट लेकर आए. उसके बाद परिजनों ने पहनकर शव के पास देर शाम तक बैठे रहे. सुरक्षा कोट पर मधुमक्खी के हमले का असर नहीं होता. इस दौरा ग्रामीण व परिजन शव को सुरक्षित रखने के लिए वहीं बैठे रहे. 

ग्रामीण वायसराम ने बताया कि हम ग्रामीण लोगों को जब कभी किसी की मौत हो जाती है, तब इस दुर्गम रास्ते से खेतों को पार करके मुक्ति धाम जाते हैं. वहीं खेतो में फसल की बुवाई हो जाती है. उसके बाद तो ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है. बारिश के दिनों में कीचड़ पार करते हुए मुक्तिधाम पर पहुंचते है. वहीं बारिश के दिनों में मुक्ति धाम परिसर में टीन शेड नहीं होने की वजह से पानी थमने का इंतजार करना पड़ता है.

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