दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे बच्चों के साथ मां-बाप का छलका दर्द, दवा की कीमत लाखों रुपये
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दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे बच्चों के साथ मां-बाप का छलका दर्द, दवा की कीमत लाखों रुपये

रणजीत की ओर से भी क्राउडफंडिंग पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया गया है लेकिन रणजीत का कहना है कि उन्हें अभी तक किसी तरह की कोई आर्थिक सहायता नहीं मिल पाई है.

दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे बच्चों के साथ मां-बाप का छलका दर्द, दवा की कीमत लाखों रुपये

Jaipur: राजस्थान में दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे बच्चों ,अन्य मरीजों  को फंड उपलब्ध  कराने के मकसद से राज्य सरकार ने क्राउडफंडिंग पोर्टल की शुरुआत की थी जिसका नाम राज संबल पोर्टल रखा गया. सरकार का मकसद था कि इस पोर्टल के जरिये से दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए फंड एकत्रित हो और उस फंड के माध्यम से मरीजों का इलाज और दवाइयां खरीदी जा सके लेकिन अभी भी जरूरतमंद मरीजों को इस पोर्टल के माध्यम से इलाज का इंतजार है.

हाथों में मैं जीना चाहता हूं, और जीना चाहती हूं की तख्ती लिए खड़े बच्चे और परिवार कोई और नहीं बल्कि दुर्लभ बीमारियों का दंश झेलने वाले परिवार और मरीज है. राज्य सरकार के क्राउडफंडिंग पोर्टल पर अब तक 34 ऐसे मरीजों का रजिस्ट्रेशन किया गया है जो दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे हैं और जिनको इलाज के लिए महंगी दवाइयों की जरूरत है, ऐसी ही एक दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे 2 साल के तनिष्क के पिता शैतान सिंह का कहना है कि सरकार की ओर से क्राउडफंडिंग पोर्टल बनाया तो गया है लेकिन उससे अभी तक किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल पा रही.

तनिष्क की तरह ही अन्य 33 लोग ऐसे हैं जो दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे हैं और इन सभी मरीजों को इलाज की आवश्यकता है. शैतान सिंह का कहना है कि उनकी ओर से राज सम्बल पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है लेकिन अभी तक किसी प्रकार का कोई फंड उनके बेटे के लिए रिलीज नहीं हुआ है. जबकि दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे रणजीत सिंह का कहना है की वे  स्पाइनल मस्क्युलर अट्रोफी जैसी दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे हैं और इस बीमारी का इलाज काफी महंगा है क्योंकि जिस दवा से इस बीमारी का इलाज होता है वह लाखों रुपये की है. 

रणजीत की ओर से भी क्राउडफंडिंग पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया गया है लेकिन रणजीत का कहना है कि उन्हें अभी तक किसी तरह की कोई आर्थिक सहायता नहीं मिल पाई है. ऐसे में एक बार फिर से मरीज के परिजनों की ओर से सरकार को गुहार लगाई गई है और एक ज्ञापन जेके लोन अस्पताल अधीक्षक को दिया गया है ताकि उनकी आवाज सरकार तक पहुंच सके. 

दवा की कीमत लाखों में

दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए आम तौर पर लाखों रुपये की दवा की जरूरत होती है उदाहरण के लिए स्पाइनल मस्क्युलर अट्रोफी बीमारी से यदि कोई बच्चा पीड़ित पाया जाता है तो जन्म के दौरान ही उसे तकरीबन 16 करोड़ रुपए के इंजेक्शन की आवश्यकता होती है.इस बीमारी में कमर से नीचे का हिस्सा काम करना बंद कर देता है लेकिन जैसे-जैसे फ्रिज की उम्र बढ़ती है तो फिर उसे एक ओरल दवा की आवश्यकता होती है और मौजूदा समय में इस दवा की एक शीशी की कीमत तकरीबन 6 लाख रुपए से अधिक है,यह दवा  वजन के हिसाब से दी जाती है. 

इस अस्पताल में हो रहा दुर्लभ बीमारियों और उनके इलाज पर रिसर्च 

जयपुर के जेके लोन अस्पताल में दुर्लभ बीमारियों की खोज और इन बीमारियों के इलाज को लेकर रिसर्च किया जा रहा है लेकिन प्रदेश में दुर्लभ बीमारियों का इलाज अभी काफी महंगा है और सामान्य मरीज इसके इलाज में आने वाले खर्च को वहन नहीं कर सकता. पॉम्पे डिजीज, स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी -1, टर्नर सिंड्रोम, डाउन सिंड्रोम कुछ ऐसी बीमारियां हैं जो दुर्लभ मानी गई है.  दुर्लभ बीमारियों को लेकर जयपुर के जेके लोन अस्पताल में पिछले 8 साल से एक सेंटर चलाया जा रहा है जहां लगभग 1300 से अधिक बच्चे दुर्लभ बीमारी से पीड़ित पाए गए हैं.

समझें क्या है क्राउडफंडिंग, कैसे इन मरीजों की देश कर सकता है मदद 

क्राउडफंडिंग का सीधा सा उद्देश्य काफी सारे लोगों से छोटी-छोटी रकम एकत्रित करना होता है और इस राशि के माध्यम से जरूरतमंद व्यक्तियों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है. इसी तर्ज पर राज्य सरकार ने भी क्राउडफंडिंग पोर्टल बनाया है. जहां कोई भी व्यक्ति दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित मरीज के लिए पैसा दान कर सकेगा. माना यह भी जाता है कि क्राउडफंडिंग पोर्टल पर दान दिए जाने वाले पैसे पर टैक्स में भी छूट मिलती है. इसके लिए एक बैंक खाता भी पोर्टल पर मौजूद होता है. जहां दान देने वाला व्यक्ति खाते में सीधा पैसा डाल सकता है. 

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