दिव्यांग को गृह जिले में नहीं मिली नियुक्ति, राजस्थान हाईकोर्ट ने लगाई फटकार, जानें मामला
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दिव्यांग को गृह जिले में नहीं मिली नियुक्ति, राजस्थान हाईकोर्ट ने लगाई फटकार, जानें मामला

याचिका में अधिवक्ता बाबूलाल बैरवा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता सुन और बोल नहीं सकता है. उसका चयन एलडीसी भर्ती-2013 में हुआ था और उसे भीलवाड़ा पंचायत समिति में नियुक्ति दी गई. जबकि राजस्थान दिव्यांग कर्मचारी नियम, 1976 में प्रावधान है कि दिव्यांग कर्मचारियों को उनके गृह जिलों में ही नियुक्ति दी जाएगी.

राजस्थान हाईकोर्ट ने दिव्यांग कर्मचारी को गृह जिले में नियुक्त नहीं करने पर प्रमुख पंचायती राज सचिव सहित अन्य से जवाब तलब किया.

Jaipur: राजस्थान हाईकोर्ट ने दिव्यांग कर्मचारी को नियमों के विपरीत जाकर गृह जिले में नियुक्त नहीं करने पर प्रमुख पंचायती राज सचिव सहित अन्य से जवाब तलब किया है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश अभिषेक रावत की याचिका पर दिए.

एलडीसी भर्ती-2013 में हुआ था चयन
याचिका में अधिवक्ता बाबूलाल बैरवा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता सुन और बोल नहीं सकता है. उसका चयन एलडीसी भर्ती-2013 में हुआ था और उसे भीलवाड़ा पंचायत समिति में नियुक्ति दी गई. जबकि राजस्थान दिव्यांग कर्मचारी नियम, 1976 में प्रावधान है कि दिव्यांग कर्मचारियों को उनके गृह जिलों में ही नियुक्ति दी जाएगी.

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संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया
इसके अलावा प्रशासनिक सुधार विभाग के बीस जुलाई 2020 के आदेश के तहत ऐसे कर्मचारियों को उनके घर के नजदीक नियुक्ति दी जाएगी. इसके बावजूद याचिकाकर्ता को गृह जिले में नियुक्ति ना देकर ढ़ाई सौ किलोमीटर दूर नियुक्ति दी गई है. इस संबंध में याचिकाकर्ता ने संबंधित अधिकारियों को अभ्यावेदन भी दिए, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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