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Delhi Election Results 2025: दिल्ली चुनाव में बीजेपी के साथ मिलकर संघ ने हैट्रिक लगाई है. लगातार तीन राज्यों के चुनाव में संघ ने पर्दे के पीछे से बड़ा किरदार निभाया. हर एक सीट के लिये संघ की तैयारियों के आंकड़े सुनेंगे तो आप समझ जाएंगे कि आम आदमी पार्टी के लिये जीतना बहुत मुश्किल था. क्योंकि संघ की तैयारियां बीजेपी और किसी भी राजनीतिक दल के मुकाबले बहुत पहले शुरु हो गई थीं.
हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली हर जगह संघ के साथ से हैट्रिक पर बात बन ही गई. हरियाणा, महाराष्ट्र के बाद शनिवार को दिल्ली में बीजेपी जीत का जश्न इसलिये खास हो गया क्योंकि यहां भी पर्दे के पीछे राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ एक्टिव रहा. पूरे चुनाव के दौरान संघ के स्वयंसेवक और बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने मिलकर हर सीट के लिये लोकल लेवल पर रणनीति बनाई और बेहतरीन तालमेल के साथ काम किया. यही वजह है कि बीजेपी और संघ को अलग-अलग देखने के बदले एक संगठन के दो हाथों को तरह देखा जाता है.
पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स की राय
राजनीतिक विश्लेषक अरविंद मोहन ने कहा, 'संघ की भूमिका के बारे में बात करें तो संघ बहुत एक्टिव रहता है बीजेपी से अलग करके नहीं देखना चाहिए. अच्छी बात ये है कि थोड़ी बहुत नाराजगी के बावजूद संघ के लोग सक्रिय रहते हैं.'
दिल्ली में बीजेपी सीटों का अर्धशतक लगाने के करीब पहुंच गई. उसकी वजह है दिल्ली की 70 सीटों के लिये बना संघ का चक्रव्यूह.
- संघ के स्वयंसेवकों ने 10000 से ज्यादा बैठकें की.
- टिकट बंटवारे पर बीजेपी और संघ के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच चर्चा हुई.
- दिल्ली की 68 सीटों को A, B+, C और D कैटेगरी में बांटा गया.
- इसमें C कैटेगरी 25 से 30 सीटें थी जहां विरोधी दल के साथ कांटे की टक्कर का अनुमान था.
- और इन सीटों पर बीजेपी कार्यकर्ता और संघ के स्वयंसेवकों ने सबसे ज्यादा जोर लगाया.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ खुद को दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान बताता है. देशभर में इसकी हजारों शाखाएं और लाखों स्वयंसेवक हैं. दिल्ली में भी ऐसे स्वयंसेवकों ने छोटी-छोटी टोलियों में जनता से संपर्क किया. संघ और बीजेपी ने मिलकर दलित वोटरों को आम आदमी पार्टी से अपने पक्ष में लेकर आये.
- दिल्ली विधानसभा में अनुसूचित जाति के लिए 12 सीटें रिजर्व है.
- इन सीटों पर बीजेपी लगातार दो चुनाव में खाता भी नहीं खोल पाई थी.
- इसके अलावा लगभग 17-18 सीटें ऐसी है जहां 20% से अधिक दलित वोटर है.
- संघ और बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने मिलकर ऐसी करीब 30 सीटों पर फोकस किया था.
- इन विधानसभाओं के हरेक बूथ पर 10 दलित युवा को लगाया गया.
- 30 सीटों के 1900 बूथों पर करीब 18000 दलित युवकों ने प्रचार प्रसार किया.
- साथ ही 3500 दलित इंफ्लूएंसर भी भेज गये.जो हर दरवाजे पर बीजेपी का मैसेज लेकर पहुंचे.
और इन दलित वोटों के साथ का असर आज के चुनावी नतीजों में दिखाई दिया है.