सिपाहियों के रहने के लिए भी यहां समुचित व्यवस्था नहीं है. खपरैल वाले जर्जर भवन में सिपाही और ऑफिसर किसी तरह से अपना जीवन यापन कर रहे हैं. बरसात के दिनों में तो इसमें सांप-बिच्छू भी निकलते रहते हैं. भय के साए में काम होता है. आपराधिक दृष्टि से थाने का इलाका काफी चर्चित है.
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बिहार का नाम अकसर अपने कारनामों की वजह से चर्चा में रहता है. कभी पुल के गिरने, कभी पुल के चोरी होने, कभी रेलवे का इंजन चोरी होने तो कभी पटरी के चोरी होने जैसी घटनाओं की वजह से बिहार के इलाके सुर्खियों में रहते हैं. इस कड़ी में बिहार के नवगछिया में बने एक पुलिस थाने का नाम भी जुड़ गया है.
बिहार में पुलिस को हाईटेक बनाया जा रहा है. थानों के मॉडल भवन बनाये जा रहे हैं लेकिन भागलपुर में 7 दशक से एक ऐसा थाना है जो पिछले 70 सालों से झोपड़ी में चल रहा है. इसमें आम तौर पर सांप-बिच्छू दिख जाते हैं. दरअसल, नवगछिया पुलिस के तहत आने वाले कदवा थाना का अपना भवन तक नहीं है. 70 सालों से ये थाना सामुदायिक भवन में संचालित है.
थाना में पुरूष महिला हाजत तक नहीं है. पुलिसकर्मियों का बैरक बुरी तरह जर्जर है. थाना भवन का निर्माण अधड़ में है. यह थाना जिस सामुदायिक भवन में चल रहा है, उसमें एक ऑफिसर इंचार्ज का कक्ष है. इसी में अंदर में वायरलेस कक्ष भी बनाया गया है.
सिपाहियों के रहने के लिए भी यहां समुचित व्यवस्था नहीं है. खपरैल वाले जर्जर भवन में सिपाही और ऑफिसर किसी तरह से अपना जीवन यापन कर रहे हैं. बरसात के दिनों में तो इसमें सांप-बिच्छू भी निकलते रहते हैं. भय के साए में काम होता है. आपराधिक दृष्टि से थाने का इलाका काफी चर्चित है.
लेकिन थाने की हालत जानकर इसकी स्थिति का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. वहीं, नवगछिया के एसपी सुशांत कुमार सरोज ने कहा कि अभी 4 थानों के लिए जमीन को चिन्हित किया गया है. इसके लिए राशि भी आवंटित की जा चुकी है.
इसमें कदवा थाना की जमीन भी चिन्हित हो चुकी है और 4.97 करोड़ रुपए आवंटित हुए हैं. इसके साथ अन्य तीन थाने की राशि भी स्वीकृत हो गई है. हाजत के केस में कैदी को ढोलबज्जा थाना में भेजा जाता है. उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति नहीं है. फिर से जाकर देखेंगे, कोई शिकायत भी नहीं आई है. अब हमारे संज्ञान में आया है तो हम जाकर खुद देखेंगे. ऐसा कुछ हुआ तो उसको ठीक कराएंगे.