Greater Noida Latest News: उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में रहने वालों को अब घर का कूड़ा उठवाने के लिए शुल्क देना होगा. प्लॉट के साइज के आधार पर चार्ज तय किया गया है.आपको बता दे कि 80 रुपये से 5 हजार तक का शुल्क देना पड़ सकता है.
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Greater Noida Hindi News: ग्रेटर नोएडा के निवासियों को अब अपने घरों का कूड़ा उठवाने के लिए चार्ज देना होगा, जिससे सेक्टरवासियों में भारी असंतोष देखा जा रहा है. ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने कूड़ा उठाने की जिम्मेदारी एक निजी कंपनी को सौंप दी है. कंपनी प्लॉट के आकार के आधार पर हर महीने 80 से 150 रुपये तक का शुल्क लेगी. इसके अलावा, हर साल शुल्क में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी और 10 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क वसूलने का भी प्रावधान है.
शुल्क की दरें तय
आवासीय संपत्तियां
200 वर्ग मीटर तक: 80 रुपये प्रति माह
200-300 वर्ग मीटर: 100 रुपये प्रति माह
300-500 वर्ग मीटर: 120 रुपये प्रति माह
500 वर्ग मीटर से अधिक: 150 रुपये प्रति माह
बल्क वेस्ट जनरेटर्स: 170 प्रति फ्लैट माह
व्यावसायिक संपत्तियां
स्ट्रीट वेंडर्स
100 वर्ग मीटर तक: 50 रुपये
100-300 वर्ग मीटर: 100 रुपये
औद्योगिक इकाइयां
500 वर्ग मीटर तक: 500 रुपये
500-1,000 वर्ग मीटर: 1000 रुपये
1,000-2,000 वर्ग मीटर: 1500 रुपये
2,000 वर्ग मीटर से अधिक: 2000 रुपये
होटलों के लिए शुल्क
अनस्टार (25 कमरों से कम): 500 रुपये
अनस्टार (25-50 कमरे): 1000 रुपये
अनस्टार (50 कमरों से अधिक): 2000 रुपये
3 स्टार होटल: 3000 रुपये
5स्टार होटल: 5,000 रुपये
स्टार होटल: 7,000 रुपये
अन्य श्रेणियां
अस्पताल और क्लिनिक (गैर-बायोमेडिकल कचरा)
25 बेड से कम: 500
25-50 बेड: 1500
50 बेड से अधिक: 3500
रेस्तरां
25 सीटों से कम: 200
25-50 सीटें: 500
50 सीटों से अधिक: 1000
शादी हॉल, पार्टी लॉन और सामुदायिक केंद्र: 5000
गैर-व्यावसायिक, धार्मिक और चैरिटेबल संस्थान: 500
गोडाउन, पार्किंग स्टैंड, कोल्ड स्टोरेज और क्लब: 100
साप्ताहिक बाजार: 100 प्रति विक्रेता
अतिरिक्त विवरण
वार्षिक शुल्क वृद्धि: 5%
30 दिन बाद भुगतान न करने पर दंड: 10%
इस शुल्क योजना का उद्देश्य स्वच्छ सड़कें और बेहतर कचरा प्रबंधन सुनिश्चित करना है.
यह चार्ज एक साल बाद लागू होगा और कंपनी को आरडब्ल्यूए की शिकायतों का समाधान करना अनिवार्य होगा. शिकायतों के निस्तारण में चूक होने पर कंपनी का लाइसेंस सस्पेंड किया जा सकता है.
निवासियों की नाराजगी
सेक्टरवासियों का कहना है कि यह फैसला पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है. उन्होंने आरोप लगाया कि अथॉरिटी ने पहले ही प्लॉट खरीदते समय पानी और कचरा प्रबंधन के लिए शुल्क लिया था. अब अतिरिक्त कूड़ा चार्ज लगाना निवासियों पर आर्थिक बोझ बढ़ाने जैसा है.
शहरवासियों का कहना है कि सफाई व्यवस्था पहले से ही लचर है. सेक्टरों में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं. बावजूद इसके, अथॉरिटी ने शुल्क लगाकर तानाशाही रवैया अपनाया है.
पृष्ठभूमि
ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की स्थापना के समय से ही शहर के सभी सेक्टरों से कूड़ा मुफ्त में उठाया जाता था. इसके लिए अथॉरिटी कूड़ा कलेक्शन करने वाली कंपनी को भुगतान करती थी. हालांकि, दिसंबर 2020 की बोर्ड बैठक में "डी-सेंट्रलाइज कूड़ा निस्तारण पॉलिसी" के तहत शुल्क लगाने का प्रस्ताव पास किया गया था.
सेक्टरवासियों की मांग
निवासियों ने इस फैसले को वापस लेने की मांग की है. उनका कहना है कि अथॉरिटी को पहले सफाई व्यवस्था सुधारनी चाहिए और जनता के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए.
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