मायावती को मिला बर्थडे गिफ्ट, सरकारी खजाने से हाथियों की मूर्ति लगवाने के 16 साल पुराने केस में राहत
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मायावती को मिला बर्थडे गिफ्ट, सरकारी खजाने से हाथियों की मूर्ति लगवाने के 16 साल पुराने केस में राहत

Suprme Court Order on Mayawati: मायावती को जन्मदिन पर बड़ी राहत मिली है, सरकारी खजाने से हाथियों की मूर्ति लगवाने के 16 साल पुराने मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री को राहत दे दी है.

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Mayawati Latest News in Hindi: सुप्रीम कोर्ट से BSP सुप्रीमो मायावती को जन्मदिन पर बड़ी राहत मिली है. SC ने उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ करीब 16 साल पुरानी याचिका निपटारा कर दिया है. याचिका में मायावती पर मुख्यमंत्री रहने के दौरान सरकारी खजाने से करोडों रुपये खर्च कर अपनी और बसपा के चुनाव चिन्ह हाथी की मूर्तियां बनाने का आरोप लगाया गया था. याचिका में ये पैसे मायावती और बहुजन समाज पार्टी से वसूले जाने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को पुराना मामला मानते हुए सुनवाई बंद की. रविकांत नाम के वकील की ओर से 2009 में ये याचिका दायर की थी.

क्या था मामला?
यह याचिका 2009 में वकील रविकांत द्वारा दायर की गई थी. आरोप था कि मायावती ने 2008-09 में मुख्यमंत्री रहते हुए अपनी और 'हाथी' की मूर्तियां बनवाने के लिए सरकारी खजाने का दुरुपयोग किया. याचिकाकर्ता का कहना था कि सार्वजनिक धन का उपयोग किसी नेता का महिमामंडन या राजनीतिक दल के प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता. 

मायावती का जवाब
मायावती ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि मूर्तियां जनभावना के आधार पर लगाई गई थीं. उन्होंने इसे दलित आंदोलन और बसपा के संस्थापक कांशीराम की इच्छाओं से जोड़ते हुए कहा कि विधानसभा में चर्चा और बजट पास होने के बाद यह काम किया गया. मायावती ने कहा कि उनके और 'हाथी' की मूर्तियां लगाना दलित समाज की आकांक्षाओं का प्रतीक है. 

सुप्रीम कोर्ट का रुख
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2009 से अब तक कई सुनवाई की. कोर्ट ने पहले यह भी सवाल उठाया था कि क्या इन मूर्तियों पर हुए खर्च की भरपाई मायावती से करवाई जानी चाहिए. लेकिन अब अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि यह मामला बहुत पुराना हो चुका है. 

क्या कहा याचिकाकर्ता ने?
याचिकाकर्ता रविकांत ने दावा किया था कि करोड़ों रुपये खर्च कर बनवाई गईं ये मूर्तियां केवल मायावती का महिमामंडन करने और बसपा का प्रचार करने के लिए थीं. निर्वाचन आयोग ने भी चुनाव के दौरान इन मूर्तियों को ढकने के निर्देश दिए थे. 

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