Aniruddhacharya Maharaj: वृंदावन में हुए एक विरोध प्रदर्शन के बाद प्रेमानंद महाराज की चर्चाओं का माहौल इस कदर गर्म होगा शायद ही किसी ने सोचा होगा. धीरेंद्र शास्त्री के बाद कथावाचक अनिरुद्धाचार्य भी बैकफुट पर आ गए हैं.
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mathura news:उत्तर प्रदेश के मथुरा के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज को लेकर रोज कोई न कोई सुर्खियां बन रही हैं. जिस समय से मथुरा की एक सोसायटी के लोगों ने प्रेमानंद महाराज की रात की यात्रा का विरोध किया है तब से लगातार कोई न कोई बयानबाजी सामने आ रही है. बता दें की प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा की गतिविधियों का विरोध होने के बाद महाराज ने अपनी पदयात्रा अनिश्चितकाल के लिए बंद करने का ऐलान कर दिया था. प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा के विरोध की बात जब देश के कुछ बड़े संतों तक पहुंचा तो उन्होंने भी अपनी बयान बाजी शुरू कर दी. जिसके बाद वृंदावन शहर में मामला और ज्यादा गरमाने लगा. धीरेंद्र कृष्ण दीक्षित के माफी मांगने के बाद अब कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने ब्रजवासियों से माफी मांगी है.
ब्रजवासी तो भगवान हैं…कथावाचक अनिरुद्धाचार्य
वहीं जब बागेश्वर धाम सरकार ने अपनी गलती की माफी मांग तो ली तो कथावाचक अनिरुद्धाचार्य बैक फुट पर आ गए हैं. उन्होंने वीडियो जारी कर ब्रजवासियों से माफी मांगी. उन्होंने कहा कि ब्रजवासी उनके भगवान हैं और वह तो एक माटी के पुतले हैं. उनसे तो गलती हो जाती है लेकिन ब्रजवासी उनके भगवान हैं. वह ही उनको माफ कर सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि रही संतों के विरोध की बात तो ब्रजवासी कभी संतों का विरोध नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि हम आपके बिना कुछ नहीं हैं. उन्होंने कहा कि ब्रजवासी किसी साधु का विरोध नहीं करते हैं. जी मीडिया से बातचीत करते हुए अनिरुद्धाचर्य ने प्रेमानन्द के महाराज मे समर्थन में बयान दिया था. अनिरुद्धचार्य ने कहा था संत ब्रज में नहीं रहेंगे तो कहाँ रहेंगे. उन्होंने वीडियो में कहा कि सभी खुश रहें, अगर ब्रजवासी खुश नहीं तो वो भी खुश नहीं रह सकते.
धीरेंद्र कृष्ण ने मांगी माफी
ब्रजवासियों की नाराजगी के बाद वृंदावन के हिंदू संगठन एक मंच पर इकट्ठा हुए और उन्होंने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और कथावाचक अनिरुद्धाचार्य से माफी की मांग की थी. जब यह बात मीडिया में आई तो बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने एक वीडियो जारी कर सफाई दी और कहा कि उन्होंने जो शब्द कहे थे वह ब्रजवासियों के लिए नहीं थे बल्कि अन्य शहरों से आने वाले लोगों के लिए थे जो वृंदावन आकर बस गए हैं. वह लोग अब खुद को ब्रजवासी बता रहे हैं. उन्होंने सभी ब्रजवासियों से प्रार्थना है कि इस बात को अन्यथा ना लें, उन्होंने ब्रजवासियों को कभी गलत नहीं कहा है वह उनके प्राण हैं.