कुंभकरण को 6 महीने सोने का वरदान था या अभिशाप, जानें इंद्र और ब्रह्मा जी ने कैसे किया छल
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कुंभकरण को 6 महीने सोने का वरदान था या अभिशाप, जानें इंद्र और ब्रह्मा जी ने कैसे किया छल

Ramayana Interesting Story: कुंभकरण ने अपने बड़े भाई रावण की ही तरह तमाम वेदों, धर्म और अधर्म की जानकारी थी, उसने कड़ी तपस्या कर कई वरदान प्राप्त किये थे. ऐसे ही एक वरदान की वजह से वो 6 महीने सोता था और 6 महीने जागता था. आइये आपको बताते हैं इस वरदान के पीछे की कहानी क्या है. 

कुंभकरण को 6 महीने सोने का वरदान था या अभिशाप, जानें इंद्र और ब्रह्मा जी ने कैसे किया छल

Story of Kumbhkaran Sleep: रामायण के प्रमुख किरदारों में से एक कुंभकरण लंका के राजा रावण का छोटा भाई था. कुंभकरण भी अपने भाई रावण की तरह ही वेदों का ज्ञाता और धर्म-अधर्म का जानकार था. वह एक महान तपस्वी था और उसने कठोर तपस्या कर कई वरदान प्राप्त किए थे.  इन्हीं वरदानों में से एक वरदान की वजह से वह 6 महीने सोता और 6 महीने जागता था. इस वरदान के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से दो विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं. आइए, इन दोनों कथाओं की बारे में आपको बताते हैं. 

ज्यादा भूख लगने के चलते मिला सोने का वरदान
कुंभकरण ने अपने भाई रावण और विभीषण के साथ मिलकर कठोर तपस्या की थी. तीनों की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी उनके सामने प्रकट हुए और उन्हें वरदान मांगने को कहा. रावण और विभीषण ने अपने-अपने वरदान मांग लिए, जिन्हें ब्रह्माजी ने स्वीकार कर लिया. जब ब्रह्माजी कुंभकरण के पास पहुंचे, तो वह थोड़े चिंतित हो गए, क्योंकि कुंभकरण असाधारण मात्रा में भोजन करता था. ब्रह्माजी को यह भय हुआ कि यदि कुंभकरण ने कुछ बड़ा मांग लिया, तो यह सभी लोकों के लिए संकट पैदा कर सकता है. इसी चिंता में उन्होंने कुंभकरण की बुद्धि भ्रमित कर दी, जिससे कुंभकरण ने गलती से 6 महीने सोने का वरदान मांग लिया. ब्रह्माजी ने प्रसन्न होकर उसे यह वरदान दे दिया.

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कुंभकरण के साथ इंद्र ने किया धोखा
इस कथा के अनुसार, देवराज इंद्र कुंभकरण से ईर्ष्या रखते थे क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं कुंभकरण ब्रह्माजी से इंद्रासन न मांग ले. जब कुंभकरण ब्रह्माजी से वरदान मांगने के लिए तैयार था, तब इंद्रदेव ने उसकी बुद्धि को भटका दिया. परिणामस्वरूप, कुंभकरण ने इंद्रासन की जगह गलती से निद्रासन यानी सोने का वरदान मांग लिया. ब्रह्माजी ने यह वरदान उसे दे दिया, जिसके कारण वह 6 महीने सोता और 6 महीने जागता था.  

इस प्रकार, दोनों कथाएं यह स्पष्ट करती हैं कि कैसे कुंभकरण को यह 6 महीने सोने और 6 महीने जागने जैसा अद्वितीय वरदान मिला, जो उसकी शक्ति के साथ-साथ उसकी दुर्बलता का भी प्रतीक था. इतना ही नहीं कुंभकरण ने भले ही वरदान के लिए तपस्या की थी लेकिन ब्रह्मदेव ही नहीं बल्किओं ने उसे भ्रमित कर अपनी इच्छानुसार ही वरदान दिया. 

Disclaimer: यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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