Rishikesh Karnprayag Rail Project: कुछ दिनों पहले ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना सामरिक दृष्टि से बेहद अहम है, लेकिन इस पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. आइए बताते हैं पूरा मामला.
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कमल किशोर पिपोली/पौड़ी गढ़वाल: जोशीमठ के बाद उत्तराखंड (Uttrakhand) के अन्य इलाकों में भी दरारों की खबरें आने लगी हैं. कुछ गांव के खेतों और मकानों में भी दरारें आईं हैं. कुछ दिनों पहले ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना के तहत बयासी के पास अटाली गांव की कृषि भूमि रेलवे के टनल निर्माण की जद में आ चुकी है. इतना ही नहीं मकानों में भी दरारें पड़ रही हैं. इन सबके बीच सामरिक दृष्टि से बेहद अहम ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना पर अब सवाल उठने शुरू हो गए हैं. आइए बताते हैं पूरा मामला.
105 किमी रेलवे पहाड़ों को अंदर बनेगी सुरंग
दरअसल, 125 किमी लंबी इस परियोजना के तहत ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेलवे लाइन निर्माण का कार्य होना है. इसमें से 105 किमी रेलवे पहाड़ों के अंदर यानी की सुरंगों से होकर गुजरेगी. पूरी परियोजना में 17 सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन ये सुरंग अब स्थानीय लोगों के लिए जी का जंजाल बनी हुई है. सुरंग निर्माण से आस-पास के इलाकों में आवासीय भवनों समेत अन्य भवनों पर भी दरारें पड़नी शुरू हो गई है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि सुरंग निर्माण के लिए भारी मात्रा में विस्फोटकों का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे मकानों में दरारें पड़ रही है.
ब्लासिटंग न करने का दिया गया निर्देश
आपको बता दें कि इस समय जोशीमठ के हालातों को देखते हुए लोगों में काफी भय है. ऐसे में रेल लाइन के आस पास के इलाकों का भविष्य भी जोशीमठ जैसा न हो. वहीं, इस मामले में गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में हालात कितने बदतर हैं इसके लिए अध्ययन की जरूरत है. विशेषज्ञों की टीम प्रभावित इलाकों का जायजा ले रही है. इस बाबत रिपोर्ट तैयार की जा रही है. इस दौरा रेलवे परियोजना में कार्यरत कार्यदायी संस्थाओं को भी ब्लासिटंग न करने के लिए कहा गया है.
अटाली गांव के नीचे से गुजर रही टनल
आपको बता दें कि नरेंद्र नगर की पट्टी और दोगी के अटाली गांव के नीचे से होकर गुजरने वाली रेलवे टनल का काम जोरों पर चल रहा. हाल ही में खेतों में सिंचाई करते अचानक अटाली गांव के लोग परेशान हो गए. जब उन्होंने अपने खेतों में लंबी-लंबी दरारें देखी. ग्रामीणों की मानें तो ये दरारें 5 दिनों के भीतर 2 से ढाई फुट तक चौडी हो गई हैं. इतना ही नहीं मकानों में भी लगातार दरारें पड़ती जा रही हैं. फिलहाल, अब देखना ये है कि रेलवे की तरफ से आगे क्या एक्शन होता है.
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