सर्वे के मुताबिक, घर पर ज्यादा काम करने वालों में से एक-तिहाई लोगों ने कहा कि उनके तरीके और क्षमता में बदलाव हुआ, वहीं आधे से अधिक ने पाया कि चीजें खराब नहीं हुई हैं.
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कोरोना महामारी से पहले लगभग 6 फीसदी लोग ही ऑस्ट्रेलिया में वर्क फ्रॉम होम करते थे, जो 2020 में बढ़कर 21 फीसदी हो गया. वहीं, साल 2021 में यह बढ़कर 24 फीसदी तक पहुंच गया. जारी हिल्डा (हाउसहोल्ड, इनकम एंड लेबर डायनामिक्स इन ऑस्ट्रेलिया) सर्वेक्षण के डेटा के मुताबिक, तस्मानिया को छोड़कर सभी राज्यों में घर से काम के घंटों में वृद्धि हुई. खेती को छोड़कर सभी प्रकार की इंडस्ट्री में घर से काम करने वालों की संख्या में वृद्धि हुई.
घर से काम करना कितना आसान?
2020 में हुए सर्वे से पता चला कि घर से काम करने से कर्मचारियों के अपने समय और कामों पर नियंत्रण पाने में मदद मिलती है. इससे दफ्तर के कामों के साथ-साथ अन्य कामों को निपटाना भी आसान हो जाता है. साथ ही घर से काम करने वाले लोग मीटिंग और काम की परेशानियों की बातें कम ही करते हैं. इससे घर से काम करने में तनाव का स्तर काफी कम रहता है.
सर्वे के मुताबिक, घर पर ज्यादा काम करने वालों में से एक-तिहाई लोगों ने कहा कि उनके तरीके और क्षमता में बदलाव हुआ, वहीं आधे से अधिक ने पाया कि चीजें खराब नहीं हुई हैं.
महिलाएं बेहतर महसूस करती हैं, पुरुष ज्यादा नहीं
2020 में हुए हिल्डा सर्वे के मुताबिक, महिलाएं घर से काम करने में ज्यादा संतुष्ट होती हैं लेकिन परुषों में ये उतना नहीं है. महिलाओं के मुकाबले पुरुष घर से काम करने के बजाय ज्यादा ऑफिस में जाकर काम करना पसंद करते हैं. हालांकि, सर्वे में पाया गया कि जो लोग दो दिन ऑफिस और तीन दिन घर से काम करते हैं वो ज्यादा संतुष्ट होते हैं.
सर्वे के रिजल्ट बताते हैं कि घर से काम करने वाले कर्मचारियों में उन लोगों को ज्यादा लाभ होता है जो दफ्तर के साथ-साथ घर के कामों को भी करते हैं. इसलिए ये महिलाओं के लिए ज्यादा मायने रखता है, क्योंकि वो दोनों जगह देखरेख करती हैं.
घर से काम करना एक जाल
शोध के मुताबिक ऑफिस के मुकाबले घर से काम करने वाले लोगों के प्रमोशन के चांस कम होते हैं. उन्हें उन लोगों की तुलना में कम जिम्मेदारियां मिलती हैं. जो लोग दफ्तर जाकर काम करते हैं उन पर विश्वास भी ज्यादा होता है और उन्हें जिम्मेदारी भी ज्यादा दी जाती है. वहीं अगर महिलाएं पुरुषों के मुकाबले घर से ज्यादा काम करती हैं तो उनके प्रयासों की सराहना कम ही होती है. साथ ही उनके प्रमोशन के चांस भी कम हो जाते हैं.
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