आगरा से महज 2 घंटे की दूरी पर स्थित है ये चमत्कारी मंदिर, जहां मिलता है भूत-प्रेतों से छुटकारा!
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आगरा से महज 2 घंटे की दूरी पर स्थित है ये चमत्कारी मंदिर, जहां मिलता है भूत-प्रेतों से छुटकारा!

भारत में ऐसे कई मंदिर और तीर्थस्थल हैं जो अपनी गाथा, रहस्य, चमत्कार और महत्व के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं. इनमें से एक मंदिर आगरा से 2 घंटे की दूरी पर स्थित है, जहां भूत-प्रेतों से छुटकारा पाने की अर्जी लगती है.

आगरा से महज 2 घंटे की दूरी पर स्थित है ये चमत्कारी मंदिर, जहां मिलता है भूत-प्रेतों से छुटकारा!

क्या आप जानते हैं कि भारत में ऐसे कई मंदिर और तीर्थस्थल हैं जो अपनी गाथा, रहस्य, चमत्कार और महत्व के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं? प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों से तो ऐसी कई रोचक कहानियां और चमत्कार जुड़े हैं, जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे.

लेकिन केवल इतिहास ही नहीं, 21वीं सदी में भी ऐसे कई मंदिर हैं जो रहस्य से भरे हुए हैं. रहस्य से भरा ऐसा ही एक मंदिर है मेहंदीपुर बालाजी. यह मंदिर आगरा से महज 2 घंटे की दूरी पर राजस्थान के दौसा जिले के नजदीक दो पहाड़ियों के बीच यह स्थित है. इस मंदिर में आपको ऐसी विचित्र परंपराएं और मान्यताएं देखने को मिलेंगी, जिससे आप हैरत में पड़ जाएंगे.

प्राचीन इतिहास और रहस्य
यह मंदिर भगवान हनुमान जी को समर्पित है और अपनी अनोखी परंपराओं और रहस्यों के लिए जाना जाता है. कहा जाता है कि यह मंदिर 10वीं शताब्दी का है और यहां भगवान हनुमान जी स्वयं प्रकट हुए थे.

भूत-बाधाओं से मुक्ति
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में दूर-दराज से लोग भूत-बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए आते हैं. यहां हर रोज 2 बजे कीर्तन होता है, जिसमें नेगेटिव शक्तियों से मुक्ति दिलाई जाती है.

अनोखी परंपराएं
इस मंदिर में कई अनोखी परंपराएं प्रचलित हैं. यहां प्रसाद को किसी भी तरह से खाया या घर ले जाया नहीं जा सकता. मंदिर से निकलते समय प्रसाद को पीछे फेंक देना होता है.

नियमों का पालन
मेहंदीपुर बालाजी में आने वाले भक्तों को कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है. उन्हें एक हफ्ते तक लहसुन, प्याज, मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन नहीं करना होता है

आगरा से आसानी से पहुंचें
यह मंदिर आगरा से बस या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है. यदि आप आध्यात्मिकता और रहस्यों में रुचि रखते हैं, तो मेहंदीपुर बालाजी मंदिर आपके लिए अवश्य जाना चाहिए.

ध्यान दें
यह लेख किसी भी धार्मिक भावना या मान्यता को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं लिखा गया है. मंदिर में जाने से पहले नियमों और परंपराओं का सम्मान करना जरूरी है.

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