स्टीव जॉब्स ने 51 साल पहले देखा था महाकुंभ में आने का सपना, देखें लेटर में क्यों लिखा था ऐसा?
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स्टीव जॉब्स ने 51 साल पहले देखा था महाकुंभ में आने का सपना, देखें लेटर में क्यों लिखा था ऐसा?

Steve Jobs Letter Viral: महाकुंभ मेला न केवल आम लोगों के लिए एक आकर्षण है, बल्कि यह प्रमुख हस्तियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल रहा है. इस साल दिवंगत एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लौरेन पॉवेल जॉब्स ने महाकुंभ में भाग लिया.

 

स्टीव जॉब्स ने 51 साल पहले देखा था महाकुंभ में आने का सपना, देखें लेटर में क्यों लिखा था ऐसा?

Steve Jobs Dream Comes True: महाकुंभ मेला न केवल आम लोगों के लिए एक आकर्षण है, बल्कि यह प्रमुख हस्तियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल रहा है. इस साल दिवंगत एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लौरेन पॉवेल जॉब्स ने महाकुंभ में भाग लिया. हालांकि, उनका यह दौरा एक धार्मिक यात्रा के रूप में नहीं था, बल्कि यह उनके दिवंगत पति की एक इच्छा को पूरा करने के लिए था. स्टीव जॉब्स ने अपने मित्र टिम ब्राउन से महाकुंभ मेले में जाने की इच्छा व्यक्त की थी.

 

स्टीव जॉब्स का दुर्लभ लेटर और उनकी आध्यात्मिक रुचि

एक दुर्लभ हाथ से लिखा हुआ लेटर लेटर जिसे स्टीव जॉब्स ने 1974 में अपने 19वें जन्मदिन के मौके पर लिखा था, हाल ही में नीलामी में ₹4.32 करोड़ (500,312.50 डॉलर) में बिका. इस लेटर में स्टीव जॉब्स ने अपनी आध्यात्मिकता और कविता के प्रति अपनी रुचि का खुलासा किया है, जिसमें उन्होंने जैन बौद्ध धर्म और भारत आकर कुम्भ मेला का अनुभव करने की इच्छा व्यक्त की थी. यह लेटर उनके बचपन के मित्र टिम ब्राउन को लिखा गया था और यह लेटर उनके जीवन के उस समय का गहरा आभास देता है, जब उन्होंने एप्पल की सह-स्थापना करने से पहले भारत और हिंदू धर्म में रुचि जताई थी.

लेटर में स्टीव जॉब्स के विचार

इस लेटर में, स्टीव जॉब्स ने अपने फ्रेंड टिम ब्राउन से कहा कि वह भावनाओं में डूबे हुए हैं और कई बार रो चुके हैं. उन्होंने कुम्भ मेला में भाग लेने की अपनी इच्छा का जिक्र किया और बताया कि वह मार्च में भारत जाने की योजना बना रहे हैं. लेटर में स्टीव जॉब्स के हिंदू धर्म के प्रति गहरी रुचि का भी संकेत मिलता है, और उन्होंने लेटर के अंत में "शांति, स्टीव जॉब्स" लिखकर इसे समाप्त किया.

 

लौरेन पॉवेल जॉब्स का महाकुंभ मेला में सहभागिता

लौरेन जिन्हें उनके आध्यात्मिक गुरु स्वामी कैलाशानंद गिरी ने "कमला" नाम दिया है, उन्होंने प्रयागराज में महाकुंभ मेला में भाग लिया. उनके साथ 40 सदस्यीय एक दल भी था. कमला ने विभिन्न आध्यात्मिक विधाओं में भाग लिया, जिनमें ध्यान, क्रिया योग और प्राणायाम शामिल हैं. उनकी उपस्थिति महाकुंभ मेला में भारतीय सांस्कृतिक धरोहर के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा और आध्यात्मिक विकास की निरंतर खोज को उजागर करती है.

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