Viral Video : हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह में हर साल बसंत पंचमी का जश्न इश्क, इबादत और रंगों की परंपरा को दर्शाता है. इस खास मौके से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो में 'सांसों की माला' गाने के साथ दरगाह की खूबसूरत झलकियां नजर आ रही हैं.
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Viral Video : दिल्ली की हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह में हर साल मनाया जाने वाला बसंत पंचमी का जश्न एक अनोखी कहानी बयां करता है. ये कहानी है इश्क, इबादत और रंगों की कहानी. इसी मौके से जुड़ा एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें 'सांसों की माला' गाने पर खूबसूरत झलकियां नजर आ रही हैं.
पीली चूनर ओढ़े नजर आए अकीदतमंद
वायरल वीडियो में दरगाह पर पहुंचे अकीदतमंदों को पीली चूनर ओढ़े और सरसों के फूल हाथ में लिए देखा जा सकता है. यह नजारा अमीर खुसरो की उस परंपरा की याद दिलाता है, जब उन्होंने अपने पीर हजरत निजामुद्दीन औलिया के गम को हल्का करने के लिए बसंत के रंगों का सहारा लिया था.
वायरल हो रहा कव्वाली का विडियो
कव्वालों की महफिल में हर सुर इबादत बन जाता है और हर लफ्ज दुआ. वायरल वीडियो में यह खूबसूरती बखूबी उभरकर सामने आई है, जिसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं और बसंत पंचमी की इस अनोखी रस्म को लेकर दिलचस्पी दिखा रहे हैं.
'सांसों की माला' गाने पर झूमे लोग
हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह में 'सांसों की माला' गाने क लोगों ने खूब लुत्फ उठाया. इस दौरान लोग ऐसे नजर आए, जैसे बसंत पंचमी पर दरगाह में राधा-श्याम के गीत ने उनके कानों में चाशनी घोल दी हो. यहा मौजूद अकीदतमंद इस दौरान पीले लिबास और गमछे ओढ़े नजर आए.
Sufi Basant pic.twitter.com/nj3U754o1c
— Dargah Hazrat Nizamuddin (@SufiCulturalOrg) February 14, 2024
दरगाह को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया
दिल्ली में स्थित सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर बसंत उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस अवसर पर पूरी दरगाह को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है और विशेष कव्वाली का आयोजन किया जाता है. हजरत निजामुद्दीन औलिया चिश्तिया सिलसिले के प्रसिद्ध सूफी संत थे. कहा जाता है कि उनका पूरा नाम हजरत शेख ख्वाजा सैय्यद मोहम्मद निजामुद्दीन औलिया था और उनका जन्म 1228 में उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में हुआ था. इस सूफी परंपरा की नींव ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती ने रखी थी, जिनकी दरगाह राजस्थान के अजमेर में स्थित है. हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह भी भारत की चार प्रमुख सूफी दरगाहों में से एक मानी जाती है.