JRD Tata Birth anniversary: टाटा के नाम के साथ ही एक भरोसे की उम्मीद जग जाती है. सुई से लेकर जहाज बनाने वाले कंपनी टाटा ने यूं नहीं नहीं लोगों के इस भरोसे तो जीता है. कभी शून्य से शुरू हुई ये कंपनी आज मार्केटकैप के मामले में पाकिस्तान की इकोनॉमी को पछाड़ती है.
JRD Tata Birth anniversary: टाटा के नाम के साथ ही एक भरोसे की उम्मीद जग जाती है. सुई से लेकर जहाज बनाने वाले कंपनी टाटा ने यूं नहीं नहीं लोगों के इस भरोसे तो जीता है. कभी शून्य से शुरू हुई ये कंपनी आज मार्केटकैप के मामले में पाकिस्तान की इकोनॉमी को पछाड़ती है. टाटा की इस मजबूती के पीछे बड़ा हाथ है जेआरडी टाटा ( JRD TATA) का. सबसे लंबे वक्त तक टाटा की अगुवाई करने वाले दिग्गज कारोबी की आज 120वीं बर्थ एनिवर्सरी है.
29 जुलाई 1904 को पेरिस में जन्में जेआरडी टाटा ने टाटा समूह को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया. उनके पिता RD Tata टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के बिजनेस पार्टनर और रिश्तेदार थे. उनकी मां सूनी ( Sooni) फ्रांस की नागरिक थीं. उन्होंने फ्रांस, जापान, इंग्लैंड में पढ़ाई की. जेआरडी टाटा फ्रांस की सेना में काम कर रहे थे और वहीं रहना चाहते थे, लेकिन उनके पिता इससे खुश नहीं थी. पिता की वजह से उन्होंने सेना की नौकरी छोड़ दी और टाटा समूह में बतौर इंटर्न काम करने लगे.
जेआरडी के पास चार देशों की डिग्रियां थी, लेकिन उन्होंने कई सालों तक बिना सैलरी टाटा समूह में इंटर्न के तौर पर नौकरी की. 1925 से वो टाटा के साथ जुड़े रहे. पिता के निधन के बाद उन्हें टाटा के बोर्ड में जगह मिली. 1929 में उन्होंने फ्रांस की नागरिकता छोड़ दी और टाटा के बिजनेस पर फोकस करने लगे. उन्होंने बेहद कम समय में उद्योग जगत को अपनी काबिलियत दिखाई और साल 1938 में टाटा एंड संस के अध्यक्ष चुने गए. टाटा के चेयरमैन बनने के बाद उन्होंने कंपनी को नए पंख दिए. कारोबार को 10 करोड़ डॉलर से बढ़कर 5 अरब डॉलर तक पहुंचा दिया.
जमदेशजी टाटा के बाद टाटा की कमान जेआरडी के हाथों में आ गई थी. आरएम लाला जेआरडी की बायोग्राफी 'Beyond the Last Blue Mountain' में इस बात का जिक्र है कि कैसे जेआरडी टाटा पर जमशेदजी टाटा के सिद्धांतों की छाप रही. जमशेदजी टाटा बोर्ड की बैठकों में हर बार एक सवाल पूछते थे कि देश को किस चीज की जरूरत है. फिर जो जवाब आता था, चाहे स्टील हो, हाइड्रो हो...वो इस दिशा में जुट जाते थे. जेआरडी टाटा पर इस बात की गहरी छाप थी. आरएस लाला ने अपनी किताब में लिखा है कि जब कमान जेआरडी के हाथों में आई तो उन्होंने भी इस परंपरा को जारी रखा और बोर्ड में सवाल करते थे कि देश को किस चीज की जरूरत है ? उनकी सोच थी कि जो भारत के लिए अच्छा वो टाटा के लिए भी अच्छा है. यहीं बात उन्हें देश का महान उद्योगपति बनाती है. उनकी सोच बहुत आगे तक थी, जब कोई कंप्यूटर का नाम तक नहीं जानता था, उन्होंने 1968 में कंप्यूटर सेंटर की नींव डाली. अब यह कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के नाम से जानी जाती है. इसके बाद साल 1979 में उन्होंने टाटा स्टील, साल 1945 में टाटा मोटर्स , एयर इंडिया की नींव रखी.
जेआरडी ने भारतीय उद्योग जगत के लगभग सभी प्रमुख सेक्टर में अपने उद्यमों की शुरुआत की. टीसीएस, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा केमिकल, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट, टाइटन, टाटा कैपिटल, टाटा पावर, इंडियन होटल्स, टाटा कम्यूनिकेशंस, टाटा डिजिटल और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी तमाम कंपनियां जेआरडी टाटा से शुरू की, उन्होंने जो भी काम शुरू किया वो हिट हो गया.
जेआरडी टाटा 15 साल की उम्र में पहली बार प्लेन में बैठे, उन्होने तभी तय कर लिया कि वो एक दिन फ्लाइट उड़ाएंगे. उन्होंने 24 साल की उम्र कॉमर्शियल पायलट का लाइसेंस हासिल किया. एयरलाइन को उनका लगाव इस तरह का था कि उन्होंने साल 1932 में देश को पहला एयरलाइन दिया. उन्होंने टाटा एयरलाइंस की शुरुआत की. उन्होंने अकेले कराची से मुंबई के लिए अपने उड़ान भरी. बाद में इसका नाम बदलकर एयर इंडिया रखा गया.साल 1946 में एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण हो गया .
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