Gita Jayanti 2023: जानें कब मनाई जाएगी गीता जयंती? जानिए श्री कृष्ण की अर्जुन को उपदेश देने की कहानी
Advertisement
trendingNow12016421

Gita Jayanti 2023: जानें कब मनाई जाएगी गीता जयंती? जानिए श्री कृष्ण की अर्जुन को उपदेश देने की कहानी

Gita Jayanti 2023: मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व होता है. इस दिन गीता जयंती मनाई जाती है. इसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है. इस साल गीता जयंती कब मनाई जाएगी. आइए जानते हैं.

Gita Jayanti 2023: जानें कब मनाई जाएगी गीता जयंती? जानिए श्री कृष्ण की अर्जुन को उपदेश देने की कहानी

Gita Jayanti 2023: मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व होता है. इस दिन गीता जयंती मनाई जाती है. इसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है, इस साल यह 23 दिसंबर को मनाई जाएगी. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन कुरुक्षेत्र के मैदान में भगवान श्री कृष्ण ने कर्म से विमुख हो रहे अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. उपदेश का परिणाम निकला और अर्जुन ने अपना गांडीव उठा लिया और कर्म पथ पर चल पड़े. इसी कारण से गीता को संजीवनी विद्या की संज्ञा दी गयी है. 

 

जानें पूरी कहानी

 

कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन ने श्री कृष्ण से कहा था कि मैं युद्ध नहीं करूंगा. अपने बंधु बांधवों और गुरुओं को मार कर राजसुख भोगने की मेरी कोई लालसा नहीं है. यह भी एक विडंबना ही है कि कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में आने के पहले अर्जुन कौरवों की सारी सेना को धराशायी करने का संकल्प ले चुके थे किंतु अपनों को देखकर अपने कर्म पथ से विमुख हो गए. ऐसे में कर्तव्य विमुख अर्जुन को उनके सारथी बने भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें जो उपदेश दिया वही गीता है जो लोगों को कर्म की ओर ले जाती है. 

 

गीता में कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं. 18 अध्याय के कारण ही महाभारत का युद्ध भी 18 दिनों तक ही चला था. श्री मद्भगवद्गीता में कुल श्लोकों की संख्या सात सौ है जिनमें भक्ति व कर्मयोग का अद्भुत समन्वय है. इसमें ज्ञान को सर्वोच्च स्थान दिया गया है. ज्ञान की प्राप्ति पर ही मनुष्य की आशंकाओं का वास्तविक समाधान होता है. 

 

योगीराज श्री कृष्ण कहते हैं- 

 

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।

मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।

 

इसका अर्थ है कि कर्म करने में ही अधिकार है, उसके फलों में कभी नहीं, इसलिए तू कर्मों के फल का हेतु मत हो तथा तेरी कर्म न करने में भी आसक्ति न हो.  हमेशा निष्काम कर्मयोगी बनो. इस दिन गीता, श्री कृष्ण और व्यास जी का श्रद्धापूर्वक पूजन करके गीता जयंती समारोह मनाया जाता है. 

 

Trending news