Trending Photos
Vaman Dwadashi 2022: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को वामन जयंती मनाई जाती है. भगवान विष्णु ने राजा बलि के दंभ का नाश करने के लिए ही वामन रूप में अवतार लिया था. वामन जयंती के दिन यदि श्रवण नक्षत्र हो तो उसे बड़ा ही शुभ माना जाता है. पर्व के दिन व्रत करके भगवान वामन की स्वर्ण मूर्ति के समक्ष 52 पेड़े तथा 52 दक्षिणाएं रख कर पूजन करना चाहिए. भगवान वामन को भोग लगाकर सकोरों में दही, चावल, चीनी, शरबत, दक्षिणा सहित ब्राह्मण को दान करके व्रत का समापन किया जाता है.
वामन जयंती की यह है कथा
देवताओं और असुरों ने क्षीरसागर का मंथन किया तो देवताओं के साथ अमृत लग गया तो असुरों ने उन पर आक्रमण कर दिया. दैत्यराज बालि को हार का मुंह देखना पड़ा. राजा बालि ने शुक्राचार्य की सेवा करके ऐसी शक्ति प्राप्त की जिससे उसने तीनों लोकों को जीत कर स्वर्ग भी हथिया लिया. बालि ने इसके बात अश्वमेघ यज्ञ शुरु कराया तो देवताओं में हड़कंप मच गया. देवताओं को परेशान देख देवमाता अदिति ने महर्षि कश्यप को पूरी बात बताई तो उन्होंने विशेष अनुष्ठान करने की सलाह दी. अदिति के अनुष्ठान के परिणाम स्वरूप भगवान विष्णु वामन ब्रह्मचारी के रूप में उपस्थित हुए और अश्वमेघ यज्ञ के सौवें दिन यज्ञ मंडप में पहुंचे. राजा बलि उन्हें देख कर बहुत प्रसन्न हुआ और वामन ब्रह्मचारी के सामने हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया.
वामन ब्रह्मचारी ने रहने को मांगी तीन पग भूमि
उसने ब्रह्मचारी से सेवा पूछी तो वामन रूप धारी भगवान विष्णु ने कहा कि मैं दीन हीन ब्राह्मण हूं और निष्काम भाव से जीवन जीता हूं. यूं तो मुझे किसी भी चीज की आवश्यकता नहीं रहती है किंतु यदि तुम दान करना चाहते हो तो मुझे रहने के लिए तीन पग भूमि दे दो. मैं वहीं पर अपना डेरा बना लूंगा. दैत्यराज बलि के गुरु शुक्राचार्य वामन भगवान को पहचान गए और बलि को ऐसा करने से रोका किंतु महादानी होने के नाते बलि ने वचन दे दिया. फिर क्या था, वामन ने विशाल रूप धारण किया और एक पांव में पृथ्वी, दूसरे पांव की एडी में स्वर्ग तथा अंगूठे से ब्रह्मलोक को नाप लिया. अब तीसरे पांव से नापने के लिए बलि के पास कुछ भी नहीं बचा था तो बलि ने अपना शरीर प्रस्तुत किया. भगवान वामन ने तीसरा पग उसकी पीठ पर रख कर उसे पाताल लोक में भेज दिया. इतना होने पर देवताओं ने चैन की सांस ली.