Science News: मेड इन चाइना सामान की कोई गारंटी नहीं होती, अंतरिक्ष में भी यही हुआ. 6 अगस्त को चीन ने जो लॉन्ग मार्च 6A रॉकेट लॉन्च किया, उस रॉकेट का ऊपरी हिस्सा अंतरिक्ष में टूट गया और उसका कचरा अंतरिक्ष में फैल गया.
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China Space Debris: चीन की विस्तारवादी सोच से तो हर कोई वाकिफ है. लेकिन दुनिया में कोरोना वायरस फैलाने के लिए जिम्मेदार चीन ने स्पेस को भी नहीं छोड़ा है. आप सोच रहे होंगे कि अब चीन ने स्पेस में क्या कर दिया. तो चलिए आपको बताते हैं. यहां बात हो रही है चीन के 'कूड़ा कोरोना' की. आप ये पढ़कर कहेंगे कि कूड़ा कोरोना क्या होता है. जिस तरह चीन ने पूरी दुनिया में कोरोना फैलाया था उसी तरह अंतरिक्ष में चीन कूड़ा फैला रहा है.
अंतरिक्ष से कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें हमारी पृथ्वी के इर्दगिर्द मधुमक्खी की तरह भिनभिनाते दिख रहे कुछ प्वाइंट्स दरअसल रॉकेट और सैटेलाइट के पार्ट्स हैं, जो अंतरिक्ष में ही घूम रहे हैं. सैटेलाइट्स के इतने पार्ट्स अंतरिक्ष में तैर रहे हैं, जिनकी गिनती करना भी असंभव है और इसमें सबसे बड़ा योगदान चीन का है.
चीन ने एक साथ छोड़े थे 18 सैटेलाइट्स
चीन ने 6 अगस्त 2024 को लॉन्ग मार्च 6A रॉकेट से अपने इंटरनेट सैटेलाइट को लॉन्च किया था. एक साथ चीन ने 18 सैटेलाइट छोड़े थे. चीन का मकसद एलन मस्क के स्टारलिंक सैटेलाइट्स को टक्कर देना था. लेकिन चीन की इस करतूत से पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया क्योंकि चीन ने जिस रॉकेट से सैटेलाइट्स भेजे थे वो रॉकेट अंतरिक्ष में जाते ही कूड़ा-कूड़ा हो गया. अब हुआ क्या है ये समझिए.
चीन के रॉकेट के टुकड़े धरती की निचली कक्षा यानि लोअर अर्थ ऑर्बिट में फैले हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक रॉकेट के बॉडी पार्ट्स की संख्या करीब 300 है.
इससे दुनिया भर के देशों के सैटेलाइट्स और स्पेस स्टेशन को खतरा पैदा हो गया है.
रॉकेट के पार्ट्स एक साथ एक ही दिशा में अंतरिक्ष में तैर रहे हैं.
इसमें से 50 टुकड़े बेहद खतरनाक ऑर्बिट में हैं.
ये कचरा 7.5 किलोमीटर प्रति सेकेंड की स्पीड से घूम रहा है.
मेड इन चाइना सामान की कोई गारंटी नहीं होती, अंतरिक्ष में भी यही हुआ. 6 अगस्त को चीन ने जो लॉन्ग मार्च 6A रॉकेट लॉन्च किया, उस रॉकेट का ऊपरी हिस्सा अंतरिक्ष में टूट गया और उसका कचरा अंतरिक्ष में फैल गया.
अंतरिक्ष में कचरे का ये ढेर भविष्य में धरती पर रह रहे लोगों के साथ-साथ अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट्स, अंतरिक्ष यात्रियों और अंतरिक्ष स्टेशन के लिए भी खतरनाक हो सकता है. इतना ही नहीं ये ओजोन परत को भी नुकसान पहुंचा रहा है. इस खतरे का सबसे बड़ा मास्टरमाइंड चीन है.