विरोधियों की आवाज दबाने के लिए शहबाज शरीफ ने चली बड़ी चाल! बोलने की आजादी पर लगेगा पहरा
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विरोधियों की आवाज दबाने के लिए शहबाज शरीफ ने चली बड़ी चाल! बोलने की आजादी पर लगेगा पहरा

Shahbaz Sharif: पाकिस्तानी सरकार लोगों की आवाज दबाने के लिए संसद में एक ऐसा कानून पेश किया है. पाकिस्तान के पेका (PECA) कानून को और सख्त करते हुए कुछ संशोधनों के साथ बिल पेश किया गया है. जिसको लेकर कहा जा रहा है कि सरकार यह कदम अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने के लिए कर रही है. 

विरोधियों की आवाज दबाने के लिए शहबाज शरीफ ने चली बड़ी चाल! बोलने की आजादी पर लगेगा पहरा

PECA Law Pakistan: पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने लोगों की आवाज दबाने के लिए संसद में एक संशोधित बिल पेश किया है. सरकार ने इस बिल में पेका (PECA) कानून को और कठोर बनाने के लिए कई संशोधन प्रस्तावित किए हैं. इन संशोधनों का मकसद डिजिटल अधिकारों की सुरक्षा, ऑनलाइन सुरक्षा को मजबूत करना और साइबर अपराधों की रोकथाम बताया जा रहा है.

सरकार ने इस बिल के तहत डिजिटल राइट्स प्रोटेक्शन अथॉरिटी (DRPA) नामक एक नई संस्था बनाने का प्रस्ताव दिया है. यह अथॉरिटी ऑनलाइन अवैध कंटेंट को मॉनिटर करेगी और इसे हटाने या ब्लॉक करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी. इसके अलावा झूठी या गलत जानकारी फैलाने जैसे अपराधों के लिए सजा को कड़ा किया जाएगा. साइबर अपराधों की बढ़ती जटिलता को देखते हुए एक नई विशेष जांच एजेंसी भी बनाई जाएगी, जो इन अपराधों की जांच और कानूनी कार्रवाई में मदद करेगी.

CCLC ने दी मंजूरी

इन संशोधनों की समीक्षा कानून और न्याय विभाग ने की है. इसके बाद इन्हें कैबिनेट कमेटी ऑन लीगल केस (CCLC) ने मंजूरी दी है. अब ये संशोधन केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी के लिए पेश किए गए हैं. वर्तमान में पाकिस्तान में साइबर क्राइम कानून, प्रिवेंशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक क्राइम्स एक्ट (PECA) 2016 के तहत लागू किया जाता है  

अभी कौन करता है इस तरह के मामलों की जांच

फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (FIA) के पास एक स्पेशल साइबर क्राइम विंग है जो 'PECA एक्ट' के तहत अपराधों की जांच करता है और कानूनी कार्रवाई करता है. इसके अलावा पाकिस्तान टेलीकम्युनिकेशन अथॉरिटी (PTA 2021 के नियमों के तहत गैरकानूनी ऑनलाइन कंटेंट को हटाने और ब्लॉक करने का काम करती है.

संशोधन क्यों हैं जरूरी?

सरकार के मुताबिक तकनीक तेजी से विकसित हो रही है, जिससे साइबर अपराधों की जटिलता भी बढ़ रही है. सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार मंत्रालय (MOITT) ने इस स्थिति का विश्लेषण किया और पाया कि पाकिस्तान के साइबर कानूनों को मजबूत करने की जरूरत है. इसलिए नए संशोधन डिजिटल अधिकारों की रक्षा और ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लाए जा रहे हैं. इसके जरिए सरकार साइबर अपराधों की रोकथाम और सुरक्षित डिजिटल वातावरण तैयार करने की कोशिश कर रही है.

विपक्ष कर रहा है विरोध

हालांकि विपक्षी पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं. कभी नवाज शरीफ का दाहिना हाथ कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी का कहना है कि यह बिल मुख्य रूप से पत्रकारों और सोशल मीडिया यूज़र्स को सच बोलने से रोकने के लिए बनाया गया है, सरकार इस कानून के ज़रिए पत्रकारों और सोशल मीडिया यूज़र्स को सच बोलने से रोकने की कोशिश कर रही है. वह आलोचना को ख़त्म करना चाहता है और असहमति की आवाज़ों को दबाना चाहता है. उन्होंने चेतावनी दी कि नए कानून के तहत सरकार को एक खतरनाक हथियार दिया गया है.

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