नई दिल्ली: महाराष्ट्र के सियासी संकट में नया मोड़ पर आ गया है. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र सरकार के अंधाधुंध फैसले को लेकर हिसाब मांग लिया है. 22, 23 और 24 जून को लिए फैसलों और निपटाई गई फाइलों की जानकारी मांगी गई है. इन तीन दिनों में उद्धव सरकार ने 150 से ज्यादा फाइलों को निपटाया और सरकारी प्रस्ताव जारी किए. पिछले 7 दिनों में उद्धव सरकार ने 443 ताबड़तोड़ फैसले लिए. सवाल ये है कि अघाड़ी सरकार आखिर इतनी हड़बड़ी में क्यों है?
उद्धव सरकार को राज्यपाल का निर्देश
महाराष्ट्र के राजनीतिक उलटफेर का आज 8वां दिन है. एकनाथ शिंदे गुट के शिवसेना से बगावत किए जाने के बाद महाराष्ट्र में पिछले सात दिनों से महाविकास आघाड़ी सरकार के गिरने का संकट पैदा हो गया है. ऐसे हालात में 22 जून से 24 जून के बीच ठाकरे सरकार ने करोड़ों रूपये के प्रस्ताव पर मुहर लगा दिया. अब महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इन सरकारी फैसलों पर सवाल उठाया है. तीन दिन में करोड़ों रूपये के इतने जीआर कैसे मंजूर हो गए. राज्यपाल ने ठाकरे सरकार से रिपोर्ट देने को कहा है.
राज्यपाल ने मांगी फैसलों की जानकारी
महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले 7 दिन से परिस्थितियां समंदर में आने वाले ज्वार और भाटा की तरह ऊपर चढ़ती, पीछे हटती दिखती हैं. अब सवाल है कि 11 जुलाई तक शिवसेना के बागी विधायक गुवाहाटी में ही रहेंगे या फिर उससे पहले ही उद्धव सरकार को गिराने की कोशिश में चौपाटी यानी मुंबई पहुंचेंगे? लेकिन इस नए आरोप ने उद्धव सरकार को मुश्किल में डाल दिया है.
21 जून को 81 फैसले लिए गए
22 जून को 56 फैसले लिए गए
23 जून को 59 फैसले लिए गए
24 जून को 70 फैसले लिए गए
27 जून को 36 फैसलों पर सरकार का मुहर लगा
महाराष्ट्र सरकार के इन आदेशों के बाद सरकार के फैसलों पर सवाल उठ रहा है. इस आदेश को देखने पर साफ पता चलता है कि कुछ खास विभाग के फेवर में ही लगातार फैसले किए गए. अब राज्यपाल को जवाब देना होगा कि ऐसा क्यों किया गया. कुछ विभागों पर मेहरबानी क्यों की गई.
उद्धव सरकार ने करीब 400 GR जारी किए
इस मुश्किल परिस्थिति में अंधाधुंध तरीके से लिए जा रहे फैसलों और जीआर को लेकर विधानपरिषद में विपक्षी नेता प्रवीण दरेकर ने राज्यपाल को पत्र लिखा था. दरेकर ने सवाल उठाया था कि सरकार संकट में है और अघाड़ी सरकार अब तक कभी ऐसी हरकत में दिखाई नहीं दी, जितनी अब दिखाई दे रही है. दरेकर ने कहा था कि 48 घंटे में 160 से ज्यादा जीआर जारी किए गए हैं. उन्होंने ये भी सवाल उठाया कि जो काम ढाई साल में नहीं हुआ, वो टेंडर सिर्फ तीन दिन में पास हो गया.
शतरंज की बिसात पर चाल चली जा रही है. बीजेपी अलग जीत का सपना पाल कर बैठी है, एकनाथ शिंदे अलग क्योंकि उद्धव के एक के बाद एक प्यादे अपना पाला बदल रहे हैं. शह और मात के खेल को देखकर लग रहा है कि शिंदे की चाल से उद्धव का खेल खत्म हो सकता है लेकिन शह और मात के इस खेल को पवार अब भी खेल रहे हैं. नंबर गेम में पिछड़ने के बावजूद शरद पवार उद्धव ठाकरे के लिए आखिरी रास्ता खोज रहे हैं. अब ये समझ चुके हैं कि सत्ता की ये जंग फ्लोर पर आने वाली है.
सियासी संकट के बीच कई शासनादेश जारी
हर मिनट, हर घंटे नए-नए टर्न और ट्विस्ट सामने आ रहे हैं. महाराष्ट्र के सियासी दंगल में मुकाबला हर बदलते दिन के साथ रोमांचकारी होता जा रहा है. आज भी नए दांव चले गए लेकिन आंकड़ों के खेल में शिंदे गुट का पलड़ा फिलहाल लगातार भारी होता जा रहा है.
उद्धव गुट की मजबूरी ये है कि वो खुद को कमजोर नहीं दिखाना चाहते और शिंदे गुट को डर है कि मुंबई आकर विधायक बिखर ना जाए. इस खेल में जनता का क्या बन रहा है, बिगाड़ रहा है, कहीं- कोई बहस नहीं.. लेकिन इस खेल में जनता को मजा बहुत आ रहा.
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