नई दिल्ली: Red Ant Chutney: लाल चींटियों को देखते ही सब उनसे दूर भागने की कोशिश करते हैं क्योंकि सभी को पता है कि ये चींटियां हमें जोर से डंक मार देती हैं, जिससे स्किन पर लाल चकत्ते बन जाते हैं, लेकिन हमारे देश के कई ऐसे इलाके भी हैं, जो इन चीटिंयों की चटनी बनाकर उन्हें खा लेते हैं. अगर आप भी इस बात से चौंक गए हैं तो बता दें कि लाल चींटियों की चटनी झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के कुछ समुदाय के लोग चटकारे लेकर खाते हैं. वहीं अब इस चटनी को 2 जनवरी 2024 को भौगोलिक संकेत यानी (Geographical Indication GI) टैग का सम्मान मिला है. अपने दर्दनाक डंक के लिए जानी वाली ये चीटिंया मयूरभंज और सिमिलिपाल जंगल में पाई जाती हैं. इनका सांइटिफिन नेम ओकोफिला स्माराग्डिना (Oecophila smaragdina) हैं. आदिवासी लोग इन चींटिंयों की चटनी को बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं. यह स्वाद में तो बेहतरीन होती ही है, लेकिन इसके पोषक तत्व भी कम नहीं है.
लाल चींटी की चटनी के फायदे
पोषक तत्व
बेहतर टेस्ट के अलावा लाल चींटी की चटनी अपने पोषक तत्वों के लिए भी खूब जानी जाती है. इसमें आयरन, विटामिन B12,फाइबर, प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, फॉर्मिट एसिड, जिंक, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. ये सभी पोषक तत्व मिलकर शरीर को मजबूत रखने का काम करते हैं.
हड्डियां और मांसपेशियों को करती है मजबूत
कैल्शियम और आयरन से भरपूर लाल चींटी की चटनी हमारे शरीर की हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाने का काम करती हैं. इसके अलावा यह शरीर में खून की कमी को दूर करने में भी मदद करती है. साथ ही इससे इम्युनिटी भी मजबूत होती है, जिससे बॉडी का एनर्जी लेवल बढ़ता है.
ये बीमारियां होती हैं ठीक
माना जाता है कि लाल चींटियों की चटनी का सेवन करने से हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, सर्दी-जुखाम, कैंसर, एनीमिया और बढ़ते वजन के साथ ही हृदय संबंधी रोगों को दूर करने में मदद मिल सकती है. वहीं इस चटनी को खाने से शरीर को भरपूर एनर्जी मिलती है.
बुखार में भी काम आती है ये चटनी
रिपोर्ट्स की मानें तो कई लोग बुखार से निपटने के लिए भी लाल चींटियों का सहारा लेते हैं. माना जाता है कि पीलिया और मलेरिया समेत कई बुखार से निपटने के लिए यहां के आदिवासी लोग लाल चींटियों के झुंड के पास जाकर खुद को कटवाते हैं. माना जाता है कि इन चींटियों के काटने से बुखार का तापमान कम हो जाता है.
कैसे बनती है लाल चींटी कि चटनी
चटनी बनाने के लिए सबसे पहले ग्रामीण लोग इन चींटियों के छत्ते को इकट्ठा करते हैं. बता दें कि लाल चींटिंया वसंत ऋतु में पेड़ों पर अपना छत्ता बनाते हैं. इन्हें इकट्ठा करने के बाद सिलबट्टे में चींटियों को हरी मिर्च और लहसुन के साथ पीसा जाता है. फिर इसे कुछ समय तक सुखाया जाता है. सुखाने के बाद इसमें धनिया, टमाटर, मिर्च, नमक और अदरक-लहसुन का पेस्ट डालकर इसे वापस पीसा जाता है. इस तरह से ये पौष्टिक लाल चींटियों की चटनी तैयार हो जाती है.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.
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