IIT जोधपुर ने बनाया 'मेक इन इंडिया' सेंसर, सिर्फ सांस लेने से पता चल जाएगा डायबिटीज का खतरा

भारतीय रिसर्चर्स ने पहला मेक इन इंडिया मानव सांस सेंसर डेवलप किया है. यह सेंसर सिर्फ आपकी सांस के जरिए ही डायबिटीज, अस्थमा, स्लीप एपनिया और कार्डियक अरेस्ट जैसी बीमारियों का पता लगा सकता है.  

Written by - IANS | Last Updated : Feb 22, 2024, 06:50 PM IST
  • सेंसर से पता लग जाएगा रोग का खतरा
  • IIT जोधपुर की ओर से की गई रिसर्च
IIT जोधपुर ने बनाया 'मेक इन इंडिया' सेंसर, सिर्फ सांस लेने से पता चल जाएगा डायबिटीज का खतरा

नई दिल्ली: भारतीय रिसर्चर्स ने पहला मेक इन इंडिया मानव सांस सेंसर डेवलप किया है. यह सेंसर सिर्फ आपकी सांस के जरिए ही डायबिटीज, अस्थमा, स्लीप एपनिया और कार्डियक अरेस्ट जैसी बीमारियों का पता लगा सकता है. इसके अलावा यह इस बात का पता भी लगा सकता है कि आपने अल्कोहल का सेवन किया है या नहीं. इसे खासतौर पर गाड़ी चलाते समय अल्कोहल की मात्रा का पता लगाने के लिए ही तैयार किया गया है. यह रिसर्च IIT जोधपुर की ओर से की गई है. 

ईधन सेल आधारित तकनीक पर आधारित है सेंसर 
IIT का कहना है कि मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण पर वायु प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में बढ़ती चिंताओं को देखते हुए, एक त्वरित, किफायती, चीरफाड़हीन स्वास्थ्य निगरानी उपकरण के विकास की अधिक आवश्यकता थी. मौजूदा सेंसर, ईधन सेल आधारित तकनीक पर आधारित है. इसलिए इसने शोधकर्ताओं को इस दिशा में काम करने और एक श्वास VOC सेंसर विकसित करने के लिए प्रेरित किया. इसकी लागत मौजूदा ईंधन सेल प्रौद्योगिकी-आधारित डिवाइस से कम है. इसी तरह टीम ने आंशिक रूप से कम ग्राफीन ऑक्साइड पर आधारित एक श्वास निगरानी सेंसर विकसित किया है. PHD के छात्र निखिल वडेरा की ओर से की गई इस रिसर्च को IEEE लेटर्स में पब्लिश किया गया है. 

कमरे के तापमान पर काम करता है सेंसर 
VOC कार्बनिक रसायनों का एक विविध समूह है, जो हवा में वाष्पित हो सकता है और आमतौर पर विभिन्न उत्पादों और वातावरणों में पाए जाते हैं. वर्तमान श्वास विश्लेषक या तो भारी हैं, या लंबे समय तक तैयारी के समय एवं हीटर की आवश्यकता होती है. इससे डिवाइस की बिजली खपत बढ़ जाती है और लंबा इंतजार करना पड़ता है. नया विकसित सेंसर कमरे के तापमान पर काम करता है और प्लग एंड प्ले की तरह है. सेंसर नमूने अल्कोहल के साथ प्रतिक्रिया करते हैं और प्रतिरोध में बदलाव दर्शाते हैं. यह परिवर्तन नमूने में अल्कोहल की सांद्रता के समानुपाती होता है. इसके अलावा, इस सेंसर सारणी से एकत्र किए गए आंकड़ों को सांस के विभिन्न घटकों के पैटर्न की पहचान करने और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों के मिश्रण से अल्कोहल को अलग करने के लिए मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करके संसाधित किया जाता है. 

डॉक्टर के पास भी जा सकते हैं आंकड़े 
शोध के भविष्य के दायरे के बारे में बात करते हुए, डॉ. साक्षी धानेकर ने कहा, 'इस दिशा में निरंतर अनुसंधान और विकास से स्वास्थ्य देखभाल और कल्याण से लेकर पहनने योग्य प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों तक विभिन्न क्षेत्रों में सांस निदान के व्यावहारिक कार्यान्वयन को बढ़ावा मिल सकता है. सेंसर के आउटपुट को रास्पबेरी पाई से जोड़ा जा सकता है और आंकडों को चिकित्सक के पास भी फोन द्वारा भेजा जा सकता है.'उन्होंने बताया कि हमारा स्टार्ट अप ' सेंसकृति टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड ' समाज के लाभ के लिए इनोवेशन करता है. टीम अनुसंधान में चुनौती को एक अवसर के रूप में देखती है और रचनात्मकता, दृढ़ता और असाधारण टीम वर्क, इन तीन साधनों का उपयोग करके इसे हल करती है.

IANS

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़