Muslims and Shiv Sena (UBT): महाराष्ट्र में मुसलमान शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) से नाराज हैं. इस पार्टी ने संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक की मुखालफत करने के बजाए इसने वाक आउट किया. मुसलमान शिवसेना को धोकेबाज कहकर बुला रहे हैं.
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Muslims and Shiv Sena (UBT): महाराष्ट्र के मुसलमान विपक्षी दलों के गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के घटक शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) से नाराज़ हैं, क्योंकि केंद्र सरकार की तरफ से पेश किए गए वक्फ संशोधन विधेयक पर पार्टी का रुख साफ नहीं है. एमवीए घटक के साथ अल्पसंख्यक समुदाय की नाराज़गी तब सामने आई जब शनिवार (10 जून) को मुंबई में शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री के बाहर बड़ी संख्या में कई मुस्लिम जमा हुए.
उद्धव ठाकरे को कहा धोकेबाज
प्रदर्शनकारियों ने पार्टी प्रमुख ठाकरे को 'धोखेबाज' और 'देशद्रोही' कहकर पार्टी के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया. संसद में जब वक्फ (संशोधन) विधेयक पेश किया गया तब लोकसभा से शिव सेना के सांसदों ने वॉकआउट किया. इसके उलट कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे दूसरे विपक्षी पार्टी के सांसदों ने विधेयक का विरोध करने के लिए संसद में रहने का फैसला किया.
मुस्लिमों की वजह से जीती शिवसेना
"ठाकरे की पार्टी ने हमारे (मुस्लिम) वोटों के मजबूत समर्थन से 2024 के लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में नौ सीटें जीतीं. वह और उनकी पार्टी के सदस्य हमारे इलाकों में वोट मांगने आए और अब जब उन्हें हमारे साथ खड़ा होना चाहिए था और केंद्र की तरफ से लाए जा रहे वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करना चाहिए था, तो वह भाग खड़े हुए. एक प्रदर्शनकारी ने "हम ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. उद्धव ठाकरे देशद्रोही हैं."
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मुसलमानों का होता है इस्तेमाल
"हम (यानी, मुसलमान) हमेशा से राजनीतिक दलों की तरफ से वोट के लिए इस्तेमाल किए जाते रहे हैं. वे (यानी, महा विकास अघाड़ी के नेता) हाल ही में हुए आम चुनावों के दौरान हमारे पास आए और केंद्र में वर्तमान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के खिलाफ हमारे बीच डर की भावना पैदा करने की कोशिश की.
भाग रही शिवसेना
एक दूसरे प्रदर्शनकारी ने कहा कि "हमने उनके वचन पर विश्वास करते हुए उनके पक्ष में मतदान किया. खासकर ठाकरे ने कहा था कि वह हमारे साथ खड़े रहेंगे और हमारे अधिकारों की रक्षा करेंगे. अब अपने वादे को पूरा करने के बजाय, उनकी पार्टी ने हमें हमारे भाग्य पर छोड़कर भाग जाने का विकल्प चुना है." केंद्र में भाजपा सरकार ने 1995 के वक्फ अधिनियम में कई सुधार लाने की मांग की है. वक्फ बोर्ड इस्लाम को मानने वाले लोगों की तरफ से दान की गई संपत्तियों के नियमन के लिए नियम निर्धारित करता है.
ये हैं बदलाव
केंद्र सरकार द्वारा सुझाए गए कुछ प्रमुख बदलावों में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा किसी भी वक्फ का ऑडिट करने का आदेश देने की शक्ति केंद्र को देना, राज्य वक्फ बोर्डों में दो महिला सदस्यों की अनिवार्य नियुक्ति और किसी भी सरकारी संपत्ति का अधिग्रहण करना शामिल है जिसे गलत तरीके से वक्फ के रूप में वर्गीकृत किया गया है.