Engineer Rashid Petition: अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने जिला न्यायाधीश से मामले को सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए नामित विशेष अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था.
Trending Photos
Engineer Rashid Petition: दिल्ली हाईकोर्ट ने जेल में बंद सांसद इंजीनियर रशीद को अभिरक्षा पैरोल पर संसद के मौजूदा सेशन क कार्यवाही में हिस्सा लेने की इजाजत देने के मुद्दे पर बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) का रुख जानना चाहा. रशीद आतंकवाद के वित्त पोषण से जुड़े एक मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं.
जस्टिस विकास महाजन ने कहा, ‘‘इस बीच, वह न्यायिक हिरासत में संसद सेशन में शामिल हो सकते हैं. वह एक निर्वाचित सांसद हैं. उन्हें हिरासत में भेजने में क्या परेशानी है?’’ अदालत ने इस मुद्दे पर निर्देश प्राप्त करने के लिए एनआईए के वकील को शुक्रवार तक का समय दिया. एनआईए के वकील ने कहा कि मामला ‘‘इतना सरल नहीं है’’, क्योंकि सुरक्षा का भी मुद्दा है.
अदालत रशीद की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें इल्जाम लगाया गया है कि पिछले साल लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही एनआईए अदालत ने उन्हें इस आधार पर अधर में छोड़ दिया कि यह स्पेशल एमपी/एमएलए अदालत नहीं है. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट प्रशासन की तरफ से पेश वकील ने कहा कि स्पष्टीकरण के लिए शीर्ष अदालत में एक आवेदन दायर किया गया है और इसे शुक्रवार को सूचीबद्ध किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक, मामले की सुनवाई 10 या 11 फरवरी को होने की संभावना है. इससे पहले, एनआईए ने संसद सेशन में हिस्सा लेने के लिए अंतरिम जमानत देने के अनुरोध वाली रशीद की याचिका का विरोध किया था और कहा था कि एक सांसद के तौर पर उन्हें ऐसा कोई ‘‘अधिकार’’ हासिल नहीं है. अपनी याचिका में रशीद ने उच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि या तो वह एनआईए अदालत को उनकी लंबित जमानत याचिका का जल्द निपटारा करने का निर्देश दे या फिर मामले पर खुद ही फैसला ले.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने जिला न्यायाधीश से मामले को सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए नामित विशेष अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था. उन्होंने 24 दिसंबर 2024 को एनआईए मामले में लंबित जमानत अर्जी पर आदेश देने का रशीद का अनुरोध ठुकरा दिया था. जिला न्यायाधीश के मामला वापस उनके पास भेजे जाने के बाद अधीनस्थ अदालत के न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि वह केवल विविध आवेदन पर ही फैसला कर सकते हैं, जमानत याचिका पर नहीं.