Arab Countries Stand on Gaza: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि फिलिस्तीनियों को गाजा से हटाकर मिस्र और जॉर्डन में बसाया जाना चाहिए. गाजा को "विनाश का स्थान" बताते हुए ट्रंप ने कहा, "आप शायद 150,000 लोगों की बात कर रहे हैं, और हम पूरी जगह को मिटा देंगे." इस बयान से अरब देश खफा हैं.
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Arab Countries Stand on Gaza: गाजा से फिलिस्तीनियों को बाहर निकालने और दूसरी जगह ले जाने के मुद्दे का पांच प्रमुख अरब देशों ने विरोध किया है, जिसके बाद अमेरिका बैकफुट पर आ गया है. अमेरिका को बयान जारी कर सफाई देनी पड़ी है. अरब देशों के मंत्रियों ने कहा कि वे गाजा से फिलिस्तीनियों को जबरन निकालकर कहीं और बसाने के खिलाफ हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गाजा को लेकर दी गई योजना पर स्पष्टिकरण दिया है. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने कहा कि ट्रम्प गाजा के पुनर्निर्माण और वहां के लोगों को अस्थायी रूप से स्थानांतरित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, भले ही ट्रंप ने कहा हो कि यह स्थानांतरण स्थाई भी हो सकता है. अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा है कि यह गाजा के पुनर्निर्माण के लिए एक उदार प्रस्ताव है.
किन देशों ने ट्रंप के प्रस्ताव का विरोध किया?
गाजा से फिलिस्तीनियों को बाहर निकालने और दूसरी जगह ले जाने के मुद्दे का पांच प्रमुख अरब देशों ने विरोध किया है. इस मुद्दे पर मिस्र की राजधानी काहिरा में मिस्र, सऊदी अरब, क़तर, जॉर्डन, संयुक्त अरब अमीरात, फ़लस्तीनी प्राधिकरण और अरब लीग के विदेश मंत्रियों की मुलाकात हुई थी.
ट्रंप के किस बयान पर हो रहा है बवाल
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि फिलिस्तीनियों को गाजा से हटाकर मिस्र और जॉर्डन में बसाया जाना चाहिए. गाजा को "विनाश का स्थान" बताते हुए ट्रंप ने कहा, "आप शायद 150,000 लोगों की बात कर रहे हैं, और हम पूरी जगह को मिटा देंगे." उन्होंने कहा कि यह कदम या तो "अस्थायी" या "स्थायी" हो सकता है.
ट्रंप के बयान पर अरब देशों ने क्या कहा?
अब इन देशों के नेताओं का कहना है कि मिस्र और जॉर्डन द्वारा गाजा के लोगों को अपने देश में रखने की बात सही नहीं है और इससे क्षेत्र की स्थिरता को खतरा हो सकता है. न्यूज एजेंसी एएफपी के अनुसार, एक संयुक्त बयान में इन नेताओं ने कहा कि "विस्थापन या उनकी भूमि से उन्हें हटाने के माध्यम से फिलिस्तीनियों को एक स्थान से हटाने को बढ़ावा देना" फिलिस्तीनी नागरिकों के "अधिकारों का उल्लंघन" होगा.
मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल-सीसी ने कहा कि "फिलिस्तीनी लोगों को उनकी भूमि से हटाना अन्याय है और हम इसमें भाग नहीं ले सकते," इन नेताओं ने कहा कि वे ट्रंप प्रशासन के साथ काम करने के लिए तैयार हैं ताकि मध्य पूर्व में शांति स्थापित हो सके और द्वि-राष्ट्र सिद्धांत के आधार पर इस समस्या का समाधान हो सके.