Bangladesh News: शेख हसीना का संबोधन आवामी लीग की अब भंग हो चुकी स्टूडेंट यूनियन छात्र लीग द्वारा आयोजित किया गया था. पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में देशवासियों से मौजूदा शासन के खिलाफ संगठित प्रतिरोध करने का आह्वान किया.
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Bangladesh News: बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के ढाका में मौजूद आवास में 5 फरवरी को प्रदर्शनकारियों के एक बड़े समूह ने तोड़फोड़ की और आग लगा दी. यह तोड़फोड़ उस समय हुई जब उनकी बेटी और अपदस्थ पीएम शेख हसीना 'ऑनलाइन' लोगों को संबोधित कर रही थीं.
चश्मीदीदों ने क्या कहा?
चश्मीदीदों ने बताया कि राजधानी के धानमंडी इलाके में स्थित घर के सामने हजारों लोग शाम से ही इकट्ठा हो गए थे. इस घर को पहले एक स्मारक संग्रहालय में बदल दिया गया था. सोशल मीडिया पर "बुलडोजर जुलूस" का आह्वान किया गया था, क्योंकि हसीना स्थानीय समयानुसार रात नौ बजे अपना संबोधन देने वाली थीं.
#WATCH | An angry mob vandalized the memorial and residence of Bangladesh’s founding father, Sheikh Mujibur Rahman, located at Dhanmondi 32 in Bangladesh, demanding a ban on Awami League - the party he founded. (05.02.2025) pic.twitter.com/5rVLXot6f1
— ANI (@ANI) February 6, 2025
हसीना का संबोधन आवामी लीग की अब भंग हो चुकी स्टूडेंट यूनियन छात्र लीग द्वारा आयोजित किया गया था. पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में देशवासियों से मौजूदा शासन के खिलाफ संगठित प्रतिरोध करने का आह्वान किया.
इतिहास लेता है बदला- हसीना
हसीना ने स्पष्ट रूप से नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की सरकार की तरफ इशारा करते हुए कहा, "उनके पास अभी भी इतनी ताकत नहीं है कि वे राष्ट्रीय ध्वज, संविधान और उस स्वतंत्रता को बुलडोजर से नष्ट कर सकें, जिसे हमने लाखों शहीदों के जीवन की कीमत पर अर्जित किया है." उन्होंने कहा, "वे इमारत को ध्वस्त कर सकते हैं, लेकिन इतिहास को नहीं, लेकिन, उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि इतिहास अपना बदला लेता है."
शेख हसीना को क्यों देश छोड़कर भागना पड़ा
गौरतलब है कि पिछले साल छात्रों ने शेख हसीना सरकार के खिलाफ आरक्षण बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया था. इस विरोध को खत्म करने के लिए हसीना ने बच्चों पर अत्याचार किया, जिसके बाद बच्चे और आक्रामक हो गए. इस घटना में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने पीएम कार्यालय की ओर मार्च किया, जिसके कारण शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़कर भागना पड़ा. भारत ने मानवीय आधार पर उन्हें शरण दी है.