Sambhal Violence: पिछले साल नवम्बर महीने में संभल के 500 साल पुरानी शाही मस्जिद के मंदिर होने के दावों के सर्वे के दौरान हुई हिंसा में 4 लोगों की मौत हुई थी. इस मामले में पुलिस ने 4 मुस्लिम महिलाओं समेत 79 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था, जिनमें एक महिला आरोपी को सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया गया है. पुलिस का दावा है कि अभी भी हिंसा के सैकड़ों मुल्जिम फरार हैं.
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में पिछले साल नवम्बर महीने में शाही मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा ने देशभर के ध्यान अपनी तरफ खींचा था. इस हिंसा में 4 लोग मारे गए थे. मारे गए लोगों का इल्ज़ाम है कि मौतें पुलिस की गोलियों से हुई है, जबकि पुलिस इन मौतों का जिम्मेदार सर्वे का विरोध करने वाले लोगों को बता रही है. पुलिस ने हिंसा में शामिल सैकड़ों लोगों को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया था. इनमें 4 महिलाओं समेत 79 आरोपी जेल में बंद हैं, लेकिन गुरुवार को स्थानीय कोर्ट ने एक महिला को सबूतों के अभाव में जेल से रिहा करने का हुक्म दिया है.
हिंसा के बाद पुलिस ने इस मामले में 5 लोगों के साथ सुभान की बीवी फरहाना को 26 नवम्बर को गिरफ्तार किया था. फरहाना पर इलज़ाम था कि उसने हिंसा के दौरान अपने घर की छत से पुलिस बल पर पत्थर फेका था. फरहाना के साथ रुकैया , नजराना, सुभान उर्फ़ मुन्ना, फैज़, छोटू, शाहनवाज़ उर्फ़ टिल्लन को गिरफ्तार किता था. लेकिन जांच में फरहाना के खिलाफ पत्थरबाजी के कोई सबूत नहीं मिले, इसलिए उसे रिहा करने के आदेश दिए गए हैं.
फरहाना के वकील गनी अनवर
आरोपी महिला फरहाना के वकील गनी अनवर ने अपनी क्लाइंट की रिहाई पर पुलिस कप्तान, इलाके के DIG और दीगर आला अफसरान का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि प्रशासन ने निष्पक्षता के साथ जांच की थी, जिसमें फरहाना के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला. इसलिए उसे 1 लाख के मुचलके पर रिहा किया गया. संभल मामले में जेल से रिहा होंने वाली वह पहली आरोपी है.
1200 पेज की है चार्जशीट फाइल
वहीँ, गुरुवार को ही संभल हिंसा के मामले के उपद्रवियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गयी है. SIT ने संभल हिंसा मामले में कुल 1200 पेज की है चार्जशीट फाइल की. इस मामले में पुलिस ने 2750 आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी. इस FIR में पुलिस ने सपा सांसद जिया उर रहमान वर्क और सपा विधायक इकबाल महमूद का नाम भी दर्ज किया गया था.
संभल कोर्ट में हिंसा से जुड़ी 1200 पन्नों की रिपोर्ट पेश करने जाती हुई SIT की टीम
हिंसा के मास्टर माइंड के सहयोगी को पकड़ने का दावा
उधर, गुरुवार को ही पुलिस ने दावा किया है कि संभल हिंसा मामले में बड़ी कामयाबी मिली है. इस हिंसा के मास्टर माइंड ऑटो लिफ्टर शारिक साटा के गुर्गे गुलाम को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने दावा किया है कि पुलिस को दिए इकबालिया बयान में गुलाम ने हिंसा में शामिल होने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन की हत्या की भी साजिश रची थी. शंकर मंदिर- मस्जिद मामलों में मंदिर पक्ष की तरफ से पैरवी करते हैं. गिरफ्तार आरोपी के खिलाफ थानों में पहले से ही 20 से ज्यादा संगीन मामलों के केस है दर्ज हैं.
पुलिस के डर से पलायन का इलज़ाम
अभी हफ्ता भर पहले ही इलाके के मुसलमानों ने इल्ज़ाम लगाया था कि पुलिस की गिरफ्तारी के डर से मुस्लिम मोहल्ले के शरीफ लोग भी अपना घर-बार छोड़कर पलायन कर रहे हैं. इनमे इलाके के बूढ़े, नौजवान और महिलाएं तक शामिल हैं. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इन दावों को हवा देते हुए ‘एक्स’ पर लिखा था कि संभल में डर और उत्पीड़न का माहौल इतना ज्यादा है कि लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं. सरकार को संभल के मुसलमानों को निशाना बनाना बंद करना होगा. बाद में इसके जवाब में संभल के पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार ने कहा था कि 24 नवंबर को संभल में हुई हिंसा में करीब 2500 से 3000 लोग शामिल थे, जिसमें पुलिसकर्मियों पर भी पथराव किया गया था. हिंसा में शामिल 79 लोगों को अबतक गिरफ्तार किया गया है. जो अभी तक फरार है, उनके सार्वजनिक तौर पर पोस्टर भी चिपकाए गए हैं. ऐसे में जो संभल से मुसलमानों के पलायन का दावा किया जा रहा है, वो शरीफ लोग नहीं बल्कि हिंसा में शामिल लोग हो सकते हैं.
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