Engineer Rashid: इंजीनियर रशीद दिल्ली हाई कोर्ट से दो दिन की हिरासत पैरोल मिल गई है. कुछ शर्तों के साथ संसद की कार्रवाई में शामिल होने की इजाजत मिली है पूरी खबर जानने के लिए नीचे स्क्रॉल करें
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Engineer Rashid: जम्मू-कश्मीर के बारामूला लोकसभा सीट से सांसद इंजीनियर रशिद कई सालों से टेरर फंडिंग के मामले में जल में हैं. उन्होंने साल 2024 की लोकसभा चुनाव में बारामूला सीट पर जीत दर्ज की है. सांसद होने के बावजूद उनपे दर्ज गंभीर मामले की वजह से उनहें जेल में ही रहना पर रहा है. अब दिल्ली हाई कोर्ट से उनहें राहत मिली है. इंजीनियर रशिद को संसद में कार्यवाही में सामिल होने के लिए हाई कोर्ट ने दो दिन की हिरासत पैरोल दी है.
Hc में अपील के बाद मिली जमानत
गौरतलब है कि अभी संसद सत्र चल रही है. इंजीनियर रशिद ने दिल्ली हाई कोर्ट से अपील करते हुए कहा था कि उनहें चल रहे संसद सत्र में सामिल होने की इजाजत दी जाए. खबर है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने इस याचिका को सुनने के बाद सांसद इंजीनियर रशीद को दो दिन की हिरासत पैरोल दे दी है.
जमानत में शामिल है ये शर्त
संसद सत्र में भाग लेने से जुड़ी मामले पर जस्टिस विकास महाजन सुनवाई कर रहे थें. जस्टिस महाजन ने सुनवाई करते हुए कहा कि राशिद 11 और 13 फरवरी को संसद सत्र में शामिल हो सकते हैं. हिरासत पैरोल के तहत कैदी को हथियारबंद पुलिस कर्मियों द्वारा मुलाकात की जगह तक ले जाया जाता है. राशिद को जमानत की शर्तों के तौर पर कुछ शर्तें दी गई हैं, जिनमें सेलफोन का इस्तेमाल नहीं करना और मीडिया से बात नहीं करना शामिल है. अदालत ने कहा कि राशीद को लोकसभा ले जाया जाएगा और वापस लाया जाएगा, साथ ही कोर्ट ने कहा कि संसद के अंदर सुरक्षा महासचिव के राय-विचार करने के बाद तय की जाएगी.
कोई उपाय न दिखने पर हिरासत पैरोल की मांग की
बारामूला के सांसद इंजीनियर रशीद पर टेरर फंडिंग के एक मामले में मुकदमा चल रहा है, जिसमें इल्जाम है कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकवादी समूहों को पैसों से मद्द किया है. अदालत ने 7 फरवरी को हिरासत पैरोल पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. राशीद ने HC में याचिका दायर कर इल्जाम लगाया कि पिछले साल लोकसभा में उनके चुनाव के बाद NIA अदालत द्वारा उनकी जमानत याचिका पर विचार करने के बाद उन्हें कोई उपाय नहीं मिला, क्योंकि यह विशेष एमपी/एमएलए अदालत नहीं थी. अंतरिम राहत के तौर पर उन्होंने हिरासत पैरोल की मांग की.
संसद में बारामूला की आवाज जरूरी
इसके उलट, सीनियर वकील एन हरिहरन ने वकील ओबेरॉय के साथ तर्क दिया कि राशीद को संसद सत्र में शामिल होने की इजाजत दी जानी चाहिए क्योंकि बजट सत्र के दौरान उनके लोकसभा को रिप्रेजेंट नहीं किया जा रहा था, जबकि उनके राज्य को आवंटित निधि में 1,000 करोड़ रुपये की कमी आई थी. उन्होंने सांसद पप्पू यादव से जुड़े एक पिछले मामले का हवाला दिया, जिन्हें 2009 में संसद सत्र में शामिल होने की इजाजत दी गई थी.
वकील ने तर्क दिया, "मैं जम्मू-कश्मीर के सबसे बड़े विधानसभा क्षेत्र को रिप्रेजेंट करता हूं जब समावेश की प्रक्रिया शुरू हो गई है, तो रिप्रेजेंटेटिव को न रोकें... बारामूला लोकसभा क्षेत्र की आवाज़ को न दबाएँ. " राशिद को 2019 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले के इल्जाम और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इल्जाम में गिरफ्तार किया गया था. उनका मामला जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को फंडिंग करने और नामी आतंकवादी हाफ़िज़ सईद से संबंधों से जुड़ा है.
NIA के वकील ने क्या कहा
NIA को रिप्रजेंट करने वाले सीनियर वकील सिद्धार्थ लूथरा और वकील अक्षय मलिक ने हिरासत पैरोल दिए जाने के खिलाफ दलील दी और कहा कि राशिद को संसद की कार्रवाई मे शामिल होने का कोई राईट नहीं है और उन्होंने अपने अनुरोध के लिए कोई खास मकशद भी नहीं दिखाया है. लूथरा ने राशिद को संसद में प्रवेश दिए जाने पर सुरक्षा चिंताओं को उजागर करते हुए कहा कि हिरासत पैरोल के लिए पुलिस एस्कॉर्ट की जरूरत होती है, जो परिसर के भीतर हथियारबंद कर्मियों पर रोक की वजह से मश्किलें पैदा करती है.
उन्होंने आगे कहा कि "हिरासत पैरोल एक सांसद का निहित अधिकार नहीं है," उन्होंने इस मामले को दूसरे मामलों से अलग बताया जहां हिरासत पैरोल शादी या गम जैसे पर्सनल वजहों से दी गई थी. लूथरा ने तर्क दिया, "उनके साथ हथियारबंद कर्मियों का होना ज़रूरी है. आप हथियारबंद पुलिसकर्मियों को संसद में कैसे भेज सकते हैं? हथियार लेकर कोई भी इंसान संसद के अंदर नहीं जा सकता है. मेरी आपत्ति का कोई मतलब नहीं है. वह एक अलग संस्था की नियमो केअधीन है." उन्होंने आगे कहा कि "सिक्योरिटी से जुड़ी मुद्दे एनआईए के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं. हिरासत में पैरोल किसी सांसद का निहित अधिकार नहीं है."