कौन हैं अब्दुल माजिद; जिन्होंने रोज़े की हालत में इंदौर हादसे में फंसे लोगों का किया रेस्क्यू
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कौन हैं अब्दुल माजिद; जिन्होंने रोज़े की हालत में इंदौर हादसे में फंसे लोगों का किया रेस्क्यू

Indore Temple Accident: गुरुवार को इंदौर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में रामनवमी की विशेष पूजा के दौरान बावड़ी की छत गिरने से हादसा पेश आया. इस दौरान पीड़ितों की मदद करने के लिए काजी अब्दुल माजिद फारुकी भी मंदिर में पहुंचे.

 

कौन हैं अब्दुल माजिद; जिन्होंने रोज़े की हालत में इंदौर हादसे में फंसे लोगों का किया रेस्क्यू

Majid Faruqui Saved Lives:मध्यप्रदेश के इंदौर में गुरुवार को हुए एक दर्दनाक हादसे में अब तक  36 लोगों के शव निकाले जा चुके हैं. सर्च ऑपरेशन का सिलसिला लगातार जारी है. इंदौर डिवीजन के कमिश्नर ने जानकारी देते हुए बताया कि NDRF के बाद आर्मी ने भी मोर्चा संभाल लिया है. रात में बावड़ी से तक़रीबन 20 शव निकाले जा चुके हैं. रामनवमी के दिन गुरुवार को हादसे पेश आने से चारों ओर कोहराम मच गया. जब हादसे की खबर आई तो लोकल लोग भी पीड़ितों की मदद के लिए मंदिर में पहुंचे. मदद करने वालों में इंदौर के काजी अब्दुल माजिद फारुकी भी शामिल थे.बता दें कि गुरुवार को इंदौर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में रामनवमी की विशेष पूजा के दौरान बावड़ी की छत गिरने से हादसा हुआ.

 

काजी अब्दुल माजिद फारुकी ने हादसे का शिकार हुए लोगों को बचाने के लिए दौड़ पड़े. हादसे के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि मेरा घर मंदिर के नजदीक ही है और मैं एक सिविल डिफेंस कार्यकर्ता के तौर पर काम करता हूं. तकरीबन साढ़े 11 बजे की बात है, मैं गार्डन में था, उसी दौरान मुझे लोगों के चीखने- चिल्लाने की आवाज सुनाई दी. लोगों से पूछने पर पता चला कि आरती के दौरान मंदिर में हादसा पेश आया है. जानकारी मिलते ही मैं अपने कुछ लोगों के साथ वहां पर पहुंच गए. उस वक्त हमारे साथ सिविल डिफेंस के कई कार्यकर्ता मौजूद थे.'

फारुकी ने हादसे के बारे में बताते हुए कहा कि वहां का मंज़र दिल दहला देने वाला था. हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल था. उन्होंने ने बताया कि पुलिस के आने से पहले ही हम लोगों ने रेस्क्यू शुरू कर दिया. रेस्क्यू के दौरान काफी जान-पहचान के लोग नज़र आए, जिन्हें हमने टीम की हेल्प से बाहर निकाला. मेरा रोजा था, मेरे साथी संजय ने याद दिलाया और मेरा रोजा खुलवाया.' अपनी बात बताते हुए फारूकी की आवाज़ उनका साथ नहीं दे रही थी. ये एक बहुत बड़ा हादसा है, जिसे सुनकर ही किसी का भी दिल बैठ जाए, तो जरा सोचिए जिसने ये सब अपनी आंखों से देखा हो, उस पर क्या गुजरी होगी. 

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