Kanwar Yatra 2024: कावड़ यात्रा नेम प्लेट विवाद मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बयान दर्ज किया है. सरकार ने इस फैसले के पीछे के मकसद के बारे में जानकारी दी है. पढ़ें पूरी खबर
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Kanwar Yatra 2024: उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि कांवड़ यात्रा रास्ते पर मौजूद दुकानों पर मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश यह सुनिश्चित करने के लिए दिया गया है कि कांवड़ियों की धार्मिक भावनाएं, "गलती से भी" आहत न हों, और यह "शांति और सौहार्द" के लिए भी है.
राज्य सरकार ने आगे बताया कि यह निर्देश दुकानों और भोजनालयों के नामों की वजह से पैदा हुई भ्रम के संबंध में कांवड़ियों से प्राप्त शिकायतों के जवाब में जारी किया गया. सरकार ने कोर्ट में कहा,"अतीत की घटनाओं से पता चला है कि बेचे जा रहे खाद्य पदार्थों के प्रकार के बारे में गलतफहमी के कारण तनाव और अशांति पैदा हुई है. ये निर्देश ऐसी स्थितियों से बचने के लिए एक सक्रिय उपाय हैं."
किसी बिजनेस पर लगाता है बैन
राज्य सरकार ने कहा कि यह आदेश खाद्य विक्रेताओं के व्यापार या व्यवसाय पर कोई बैन नहीं लगाता है. मांसाहारी भोजन की बिक्री पर प्रतिबंध को छोड़कर, और दुकानदार "अपना व्यवसाय सामान्य रूप से करने के लिए आज़ाद हैं". मालिकों के नाम दिखाने का निर्देश पारदर्शिता सुनिश्चित करने और किसी भी संभावित भ्रम को दूर रखने के लिए "केवल एक अतिरिक्त उपाय" है.
शीर्ष अदालत को यह भी बताया गया कि कांवड़ियों को परोसे जाने वाले खाने से संबंधित "छोटी-मोटी भ्रांतियां" भी "उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती हैं और इससे तनाव बढ़ सकता है, खासकर मुजफ्फरनगर जैसे सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में."
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा, "यह ध्यान देने वाली बात है कि निर्देश धर्म, जाति या समुदाय के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करता है. मालिकों के नाम और पहचान प्रदर्शित करने की जरूरत कांवड़ के रास्ते पर सभी खाद्य विक्रेताओं पर समान रूप से लागू होती है, चाहे उनका धार्मिक या सामुदायिक जुड़ाव कुछ भी हो."
इसमें कहा गया है कि इस आदेश का मकसद कांवड़ यात्रा के दौरान सार्वजनिक सुरक्षा और व्यवस्था सुनिश्चित करना है, क्योंकि इस तीर्थयात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं. राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा, "शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण तीर्थयात्रा सुनिश्चित करने के लिए निवारक उपाय करना अनिवार्य है."