विपक्षी दलों की तरफ से शुरू की गयी जातीय राजनीति बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती पेश कर रही है, वहीं जाति जनगणना को लेकर आरएसएस के नेता एक बड़ा बयान सामने आया है.
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जाति जनगणना को लेकर आरएसएस के नेता ने बड़ा गाडगे ने बड़ा बयान दिया है. गाडगे ने पत्रकारो से बातचीत करते हुए ये बयान दिया . जाति आधारित जनगणना नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा जाति जनगणना का आरक्षण से कुछ लेना देना नही है. साथ ही सवाल पूछते हुए उन्होंने कहा का कि मुझे समझ नहीं आता है कि इससे हासिल क्या होगा? गाडगे ने कहा कि इसकी कुछ लोगों का राजनीतिक फायदा हो सकता है, जाति जनगणना के आड़ में, क्योंकि जब आंकड़ें मिल जाएंगे कौन सी जाति के लोगो कि कितनी आबादी है.
गौरतलब है जातीय जनगणना नही होनी चाहिए.
इस बयान के आने बाद अब एक नई बहस छिड़ सकती है, क्योंकि कांग्रेस समेत सपा, जेडीयू ,आरजेडी जैसे दल जाति जनगणना के पक्ष में बात कर रहे हैं, और जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं. गाडगे ने कहा कि हम इसमें कोई फायदा नहीं देखते हैं. इसमें सिर्फ नुकसान हैं. इससे देश में तनाव बढ़ सकता है. उन्होंने कहा कि यादि इसके फायदे समझाए जाएं, तो आरएसएस सरकार से बात करने को तैयार है. आरएसेस का ये बायन तब आया है. जब पिछले महीने ही अमित शाह ने कहा था . कि भाजपा ने कभी जाति जनगणना का विरोध नही किया. बिहार में दिए उनके बयान को भाजपा के स्टैंड के तौर पर देखा गया था. और उसके बाद आरएसएस का ये बयान भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन सकता है
महाराष्ट्र में भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के मंत्रियों और विधायकों ने रेश्मिमबाग में आरएसएस के संस्थापक केबी हेडगेवार और दूसरे 'सरसंघचालक' एमएस गोलवलकर के स्मारक का दौरा किया, इस दौरान एक सभा को संबोधित करते हुए गाडगे ने पंच परिवर्तन का जिक्र किया और कहा कि जाति आधारित असमानता नहीं होनी चाहिए..