Saadat Hasan Manto: बेबाक लेखकों में शुमार किए जाने वाले मंटो तवायफ को लेकर क्या लिखते हैं? आज उनकी जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनके ज़रिए लिखी गई कुछ बातें बताने जा रहे हैं. जिसमें उन्होंने खुलकर अपनी बात कही है जो सोचने को मजबूर कर देती है. अपनी कहानियों की वजह से कई सआदत हसन मंटो को कई बार अदालत में भी पेश होना पड़ा.
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Manto on Prostitute: 'मंटो', पूरा नाम-सआदत हसन मंटो, ये वो नाम है जिसने उर्दू अफसाना निगारी को एक नई राह दी. वो एक ऐसे शख्स थे जिनके अफसानों को आज भी उर्दू अदब में खासा मकाम हासिल है. हालांकि वक्त-वक्त पर मंटो पर आरोप लगता रहा है कि उनके अफसानों में अशलीलता होती है. इसके लिए 6 बार अदालत में भी जाना पड़ा, हालांकि एक भी बार मामला साबित नहीं हो पाया.
सआदत हसन मंटो जो भी कहते थे खुलकर कहते थे और चाहे मौजू कोई भी हो. उन्हें अगर तवायफ (Prostitute) के मुद्दे पर लिखना हो या कोई अन्य पर, वो बिना किसी झिझक के वो लिखते थे जो उनका लिखना होता था. यही वजह है कि उनको आज की नस्ल पढ़ना पसंद करती है. आज इस खबर में हम आपको तवायफ (Prostitute) पर मंटो के ख्यालात के बारे में बताने जा रहे हैं. हम बताएंगे कि आखिर मंटो ने वैश्याओं को लेकर क्या कुछ लिखा है.
"जिस तरह घर के नौकर झटपट अपने आकाओं के बिस्तर लगा कर आराम का ख्याल करते हैं, बिल्कुल उसी तरह तवायफ भी अपने ग्राहकों को निमटा कर अपनी ख़ुशी और राहत की तरफ़ पलट आती है."
"तवायफ और बा-इस्मत औरत (इज्ज़तदार महिला) का मुकाबला कभी नहीं करना चाहिए. इन दोनों का मुकाबला हो ही नहीं सकता. तवायफ खुद कमाती है और बा-इस्मत औरत के पास कमा कर लाने वाले कई मौजूद होते हैं."
"उन औरतों (तवायफ) का वुजूद भी जरूरी है जो आपकी ग़लाज़त (गंदगी) उठाती हैं. अगर ये औरतें ना होतीं तो हमारे सब गली कूचे मर्दों की ग़लीज़ (गंदी) हरकतो से भरे होते."
"जिस औरत के दरवाजे शहर के हर उस आदमी के लिए खुले हैं जो अपनी जेबों में चांदी के चंद सिक्के रखता हो. भले ही वो मोची हो, भंगी, लंगड़ा हो या लूला, ख़ूबसूरत हो या करीहत-उल-मंज़र (बदसूरत, जिसे देखकर घिन आए), उस की ज़िंदगी का अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है."
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