Hate Speech: नफरती भाषण देने वाले सियासी और धार्मिक नेताओं की आएगी शामत, SC ने दिया बड़ा आदेश
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Hate Speech: नफरती भाषण देने वाले सियासी और धार्मिक नेताओं की आएगी शामत, SC ने दिया बड़ा आदेश

Supreme Court on Hate Speech: हेट स्पीच से जुड़े एक मामले पर देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आदेश दिया है कि यह एक संगीन जुर्म है. साथ ही सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्वत: संज्ञान लेने का हुक्म भी जारी किया है. 

Hate Speech: नफरती भाषण देने वाले सियासी और धार्मिक नेताओं की आएगी शामत, SC ने दिया बड़ा आदेश

Supreme Court on Hate Speech: आम जनसभाओं में नफरती भाषण देने वाले नेताओं और धार्मिक लीडरों की शामत आने वाली है, क्योंकि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच को संगीन जुर्म करार दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को खुद संज्ञान लेकर कार्रवाई करने का हुक्म जारी किया है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली की सरकारों को नोटिस जारी किया था. हालांकि अब सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह हुक्म जारी किया है. 

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस केएल जोसेफ ने कहा कि नफरती भाषण देश के ताने बाने को प्रभावित करने वाला एक संगीन जुर्म है. यह हमारे गणतंत्र और लोगों की गरिमा को नुकसान पहुंचाता है. अदालत ने कहा कि भारत जैसे धर्मनिर्पेक्ष देश में मज़हब की बुनियाद पर नफरती भाषम की कोई गुंजाइश नहीं है. इसको लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता. 

बेंच ने कहा कि उसके 21 अक्टूबर, 2022 के हुक्म को मज़हब के बावजूद लागू किया जाएगा और चेतावनी दी कि मामले दर्ज करने में किसी भी देरी को अदालत की अवमानना ​​माना जाएगा. अदालत ने कहा, "हम मज़हब के नाम पर कहां पहुंच गए हैं? हमने धर्म को क्या कम कर दिया है, यह हकीकत में दुखद है," 

शुक्रवार को पीठ ने कहा, "जस्टिस गैर-सियासी हैं और उन्हें पार्टी ए या पार्टी बी से कोई लेना-देना नहीं है और उनके दिमाग में सिर्फ भारत का संविधान है." इसमें कहा गया है कि अदालत "व्यापक सार्वजनिक भलाई" और "कानून के शासन" की स्थापना यकीनी करने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में हेट स्पीच के खिलाफ अर्जियों पर गौर कर रही है.

सुप्रीम कोर्ट का हुक्म पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला के ज़रिए दाखिल एक अर्ज़ी पर आया, जिसने शुरू में नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के खिलाफ निर्देश मांगा था. अब्दुल्ला ने फिर से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सुप्रीम कोर्ट के 21 अक्टूबर, 2022 के हुक्म को लागू करने के लिए एक आवेदन दायर किया था.

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