Income Tax: दुबई अपनी टैक्स-फ्रेंडली पॉलिसी के कारण दुनियाभर में मशहूर है. यहां रहने वाले लोगों के लिये और बिजनेस सबसे बड़ा आकर्षण है. यहां किसी तरह का पर्सनल इनकम टैक्स नहीं है.
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Income Tax in Dubai: दो दिन पहले ही वित्त मंत्री ने 12 लाख रुपये तक की आमदनी को टैक्स फ्री कर दिया है. देश के पर्सनल टैक्सेशन में लंबे समय बाद बदलाव किया गया है. सरकार की इस घोषणा के साथ ही अलग-अलग देशों में लगने वाले टैक्स को लेकर बात होनी शुरू हो गई है. दुबई अपनी टैक्स-फ्रेंडली पॉलिसी के कारण दुनियाभर में मशहूर है. यहां रहने वाले लोगों के लिये और बिजनेस सबसे बड़ा आकर्षण है. यहां किसी तरह का पर्सनल इनकम टैक्स नहीं है. यही वजह है कि दुनियाभर से प्रोफेशनल्स और कंपनियां दुबई में बसना पसंद करती हैं. आइए जानते हैं, दुबई में टैक्स से जुड़े नियम और इसकी इकोनॉमी कैसे चलती है.
क्या दुबई में इनकम टैक्स देना पड़ता है?
नहीं, दुबई में पर्सनल इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता. चाहे आप लोकल नागरिक हों या प्रवासी, आपकी सैलरी पर किसी तरह का टैक्स नहीं लगेगा. इनकम टैक्स नहीं लगने से यहां रहने वाले लोग ज्यादा सेविंग कर पाते हैं क्योंकि सैलरी से कोई टैक्स नहीं कटता और लोग ज्यादा सेविंग कर पाते हैं. यही कारण है कि टैक्स नहीं कटने से लोग अपनी कमाई को निवेश करने में सक्षम होते हैं. दुबई का टैक्स-फ्री सिस्टम दुनियाभर के टैलेंटेड प्रोफेशनल्स को यहां काम करने के लिए आकर्षित करता है.
बिना इनकम टैक्स दुबई सरकार कैसे कमाती है पैसा?
कई देशों में हायर इनकम टैक्स दरें होती हैं. ऐसे में दुबई उन लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बन जाता है जो अपनी आमदनी को अधिकतम करना चाहते हैं. लेकिन यह सोचने वाली बात है कि आखिर बिना इनकम टैक्स के दुबई की सरकार पैसे कैसे कमाती है? आपको बता दें पर्सनल इनकम टैक्स नहीं होने के बावजूद, बिजनेस और कंपनियों को टैक्स देना पड़ता है. साल 2023 में UAE ने 9% का कॉरपोरेट टैक्स लागू किया, जो उन कंपनियों पर लागू होता है जिनका मुनाफा AED 3,75,000 (करीब 83 लाख रुपये) से ज्यादा है.
कुछ इंडस्ट्रीज के लिए अलग टैक्स रेट
>> यहां पर तेल कंपनियां को 55% से 85% के बीच टैक्स देना पड़ता है.
>> विदेशी बैंकों पर 20% का फ्लैट कॉरपोरेट टैक्स लागू होता है.
>> स्टार्टअप और छोटे बिजनेस: अगर किसी कंपनी की इनकम AED 3,75,000 से कम है, तो उसे टैक्स नहीं देना पड़ता. यह सिस्टम दुबई को बिजनेस के लिए आकर्षक बनाए रखता है, साथ ही सरकार को रेवेन्यू भी देता है.
दुबई में दूसरे टैक्स और शुल्क
दुबई में इनकम टैक्स नहीं है. लेकिन अन्य टैक्स और शुल्क लागू होते हैं, जो सरकार की आमदनी का बड़ा हिस्सा हैं. यहां पर वैट (VAT) 2018 में लागू किया गया और यह 5% है. जो कि ज्यादातर वस्तुओं और सर्विस पर लागू होता है. म्यूनिसिपल टैक्स के बिजली-पानी के बिलों और प्रॉपर्टी पर हल्का टैक्स लगता है. इसके अलावा पर्यटन टैक्स होटल, रेस्टोरेंट और अन्य पर्यटन सर्विस पर यह टैक्स लगाया जाता है.
डबल टैक्सेशन एग्रीमेंट्स
दुबई ने 100 से अधिक देशों के साथ डबल टैक्सेशन एग्रीमेंट (DTA) साइन किया है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि किसी व्यक्ति या बिजनेस को एक ही आय पर दो बार टैक्स नहीं देना पड़े. दुबई का भारत, अमेरिका और यूके जैसे देशों के साथ करार है. UAE टैक्स रेजिडेंसी सर्टिफिकेट (TRC) प्राप्त करके व्यक्ति अपने होम कंट्री में टैक्स से बच सकता है. यह सुविधा विशेष रूप से उन प्रवासियों के लिए फायदेमंद होती है जो अलग-अलग देशों में आय करते हैं.
दुबई में इनकम टैक्स क्यों नहीं है?
दुबई की इकोनॉमी एक खास मॉडल पर आधारित है, जिससे बिना इनकम टैक्स लगाए भी सरकार की कमाई होती है. यहां पर रेवेन्यू के प्रमुख स्रोत में तेल और गैस बेस्ड पेट्रोलियम इंडस्ट्री सरकार की आमदनी का बड़ा स्रोत है. पर्यटन और रियल एस्टेट पर लगने वाले टैक्स से भी यहां मोटी कमाई होती है.