Marburg Virus: मसल्स में दर्द- थकान और फिर खून के आंसू, 1967 का ये घातक वायरस फिर मचा रहा तबाही, जानें लक्षण और बचाव के उपाय
Advertisement
trendingNow12609610

Marburg Virus: मसल्स में दर्द- थकान और फिर खून के आंसू, 1967 का ये घातक वायरस फिर मचा रहा तबाही, जानें लक्षण और बचाव के उपाय

  
What Is Marburg Virus: मारबर्ग वायरस 1967 में पहचाना गया सबसे तेजी से फैलने वाला वायरस है, जिसमें मौत का खतरा 24-88 प्रतिशत तक होता है. ऐसे में सेफ्टी के लिए इसके लक्षणों और बचाव के उपायों को जानना जरूरी है.

Marburg Virus: मसल्स में दर्द- थकान और फिर खून के आंसू, 1967 का ये घातक वायरस फिर मचा रहा तबाही, जानें लक्षण और बचाव के उपाय

मारबर्ग वायरस तेजी से फैलने वाला एक घातक वायरस है, जो मारबर्ग वायरस रोग (MVD) का कारण बनता है. इसमें मौत की दर बहुत अधिक होती है. यह वायरस खून की नसो और खून के थक्के बनाने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है, जिसके कारण शरीर में अंदरूनी और बाहरी ब्लीडिंग का खतरा रहता है. 

इसमें मृत्यु दर 24% से 88% तक हो सकती है. इस वायरस का पहला प्रकोप 1967 में जर्मनी और सर्बिया में हुआ था. तब से लेकर अब तक अफ्रीका में इसके कई प्रकोप हो चुके हैं. हाल ही में तंजानिया में इस वायरस के इंफेक्शन से 8 लोगों की मौत की खबर सामने आयी है. 

मारबर्ग वायरस फैलने का सोर्स

मारबर्ग वायरस का मुख्य स्रोत अफ्रीकी फल खाने वाले चमगादड़ (Rousettus aegyptiacus) हैं. मनुष्यों में यह वायरस संक्रमित शरीर के तरल पदार्थ (खून, लार, उल्टी, पेशाब आदि) के संपर्क से फैलता है. इसके अलावा, संक्रमित सतहों या सामग्री जैसे बिस्तर या कपड़ों से भी संक्रमण हो सकता है. 

मारबर्ग वायरस के लक्षण 

मारबर्ग वायरस से संक्रमित व्यक्ति में लक्षण संक्रमण के 2 से 21 दिनों के अंदर नजर आते हैं. शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी, उल्टी, दस्त, पेट में दर्द और ऐंठन शामिल हैं. गंभीर मामलों में आंतरिक और बाहरी ब्लीडिंग हो सकता है, जिसमें आंखों से खून बहना भी शामिल है. इसके अलावा, रैश, पीलिया (जिगर की समस्या) और मानसिक स्थिति में भ्रम जैसी स्थिति भी हो सकती है.

इसे भी पढ़ें- Joint Pain Reason: जोड़ों में दर्द क्यों होता है? ज्वाइंट्स को टूटने से बचाने के लिए, एक्सपर्ट से जानें कारण और उपाय

 

मारबर्ग वायरस से बचाव के उपाय  

- उन गुफाओं या खदानों में जाने से बचें, जहां फल चमगादड़ रहते हैं.
- अच्छे हाथ धोने की आदत डालें और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें.
- संक्रमित व्यक्तियों से संपर्क करने से बचें.
- किसी भी मृत जानवर को हाथ न लगाएं, खासकर महामारी वाले क्षेत्रों में.

मारबर्ग वायरस का इलाज 

मारबर्ग वायरस का कोई विशेष एंटीवायरल इलाज नहीं है. इलाज का मुख्य तरीका सहायक देखभाल है, जिसमें तरल पदार्थ, दर्द और बुखार की दवाइयां और खून की हानि के उपचार के लिए रक्तदान या क्लॉटिंग फैक्टर का इस्तेमाल किया जाता है.

इसे भी पढ़ें- खून बनाने वाली मशीन हैं ये 5 फूड्स, कूट-कूट कर भरा रहता है आयरन

 

 

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

 

 

Trending news