Bhagalpur News: बिहार के भागलपुर के एक आदिवासी गांव में विकास कोसों दूर तक नहीं है, न तो इस गांव में पक्की सड़क का निर्माण हुआ है न ही यहां के लोगों को नल जल योजना का लाभ मिल रहा है.
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Bhagalpur News: बिहार के भागलपुर जिले में एक ऐसा गांव है, जो विकास से कोसों दूर है. भागलपुर के इस आदिवासी समाज के गांव में जाने के लिए सड़क तक नहीं है. लोग खेत और पगडंडी के सहारे यहां आते-जाते हैं. इस आदिवासी गांव में लोगों को मुख्यमंत्री नल जल योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. गांव में नदी पर पुलिया तो बन गया, लेकिन पक्की सड़क अभी तक नहीं बन पाया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कब इस गांव में विकास लाएंगे, गांव की प्रगति करेंगे. एक तरफ तो नीतीश सरकार गांव-गांव तक और अंतिम पायदान पर खड़े लोगों तक विकास पहुंचाने के दावे करती है. इन दिनों तो सीएम नीतीश भी बिहार की प्रगति देखने निकले हैं, वो प्रगति यात्रा कर रहे हैं, लेकिन भागलपुर के इस आदिवासी गांव में प्रगति को छोड़िये एक अदद सड़क नहीं है. सरकार की योजना नल जल सुविधा तक गांव में लोगों के पास नहीं है, ताजुब की बात तो यह है कि गांव में पुल तो बना, लेकिन पुल तक जाने के लिए सड़क नहीं है, खेत और पगडंडी ही इस गांव में सड़क है. जिसके सहारे लोग आते-जाते हैं.
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लोगों को नहीं मिल रहा नल-जल योजना का लाभ
दरअसल हम बात कर रहे हैं भागलपुर के कहलगांव अनुमंडल अंतर्गत सनोखर के जपरा गांव की, जहां विकास नाम का शब्द लोगों ने नहीं सुना है. न ही इस गांव में दूर-दूर तक देखने को मिल रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजना हर घर नल जल योजना का लाभ भी इस गांव के लोगों को नहीं मिल सका है.
गांव में नहीं है पक्की सड़क
आदिवासी समाज के इस गांव में दो साल पहले जलमीनार बने, लेकिन अधिकारी और जनप्रतिनिधि उस पर टंकी लगाने में असक्षम हैं. गांव के लोग मुख्य सड़क से डेढ़ से दो किलोमीटर की दूर गांव तक खेतों और पगडंडियों से होकर जाते हैं. गांव के प्रवेश से पहले दो तीन साल पूर्व में नदी पर एक पूल बनाए गए है, लेकिन पुल तक जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है.
400 की आबादी वाला है ये आदिवासी गांव
बीमार लोगों को लोग खाट पर लादकर सड़क तक ले जाते हैं. इस गांव के लोगों के लिए बारिश का मौसम जिंदगी के लिए जद्दोजहद का मौसम हो जाता है. तकरीबन 400 की आबादी वाले इस गांव को जनप्रतिनिधियों ने ऐसे नकारा है, मानों यहां के लोग सड़क पर चलने के हकदार नहीं हों और न शुद्ध पेयजल के हकदार हों.
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आजादी के इतने सालों बाद गांव क्यों है उपेक्षित?
आजादी के इतने सालों बाद भी यह गांव उपेक्षित क्यों है, इसका जवाब कौन देगा? यहां के वोटर तो अपना अधिकार निभाते हैं, तो फिर जनप्रतिनिधियों ने क्यों मुंह फेरा है?
इनपुट - अश्वनी कुमार
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