Bihar Chunav 2025: दिल्ली के बाद अगर बिहार में भी कांग्रेस गठबंधन की राजनीति से बाहर निकलती है तो यह आप मान लीजिए कि राहुल गांधी क्षेत्रीय दलों की रोज-रोज की चिक-चिक से परेशान होकर पूरे देश में एकला चलो की राह पर आगे बढ़ेंगे.
Trending Photos
Bihar Chunav 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने आम आदमी पार्टी को तीसरे प्रयास में मात दे दी है. इस चुनाव में यह दावे किए जा रहे हैं कि कांग्रेस का अकेले चुनाव मैदान में जाना भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हुआ. अब राजनीतिक जानकार बता रहे हैं कि दिल्ली की तरह कांग्रेस बिहार में भी एकला चलो की नीति अपना सकती है. हालांकि जो लोग भी ऐसे दावे कर रहे हैं, उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि दिल्ली और बिहार की राजनीति में बहुत बड़ा फर्क है. सबसे बड़ा फर्क तो इस बात का है कि दिल्ली एक संघ शासित प्रदेश है, जहां की अपनी विधानसभा है. दूसरी ओर, बिहार अपने आप में पूर्ण राज्य है और वहां की राजनीति हमेशा देश की राजनीति को प्रभावित करती रही है. इसके अलावा दिल्ली की राजनीति बिजली, पानी, प्रदूषण, यमुना नदी आदि के इर्द गिर्द घूमती रहती है, लेकिन बिहार में खांटी जमीनी राजनीति को महत्व मिलता रहा है. यहां जाति सबसे बड़ा फैक्टर होता है. सर्वाधिक जनसंख्या वाले जाति समूहों को जिसने साध लिया, वहीं सिकंदर होता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले 20 साल से यह काम बखूबी करते आ रहे हैं.
READ ALSO: विरोधियों को सताने लगा निशांत कुमार की राजनीति में एंट्री का डर, अभी से विरोध शुरू
दिल्ली में भले ही पिछले 3 बार से कांग्रेस शून्य पर सिमटती रही है, लेकिन अभी वहां उसका अपना संगठन सक्रिय है. यह संगठन किसी का काम बनाने और बिगाड़ने में सक्षम है. दूसरी ओर, बिहार में कांग्रेस पिछले कई सालों से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की कृपा पर निर्भर है. दावे तो यह भी किए जाते हैं कि कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा, यह भी लालू प्रसाद यादव निर्धारित करते हैं. विधानसभा और लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के पास लड़ने के लिए प्रत्याशियों का नितांत अभाव है और इसकी आपूर्ति भी कभी-कभी लालू प्रसाद यादव की ओर से की जाती रही है.
इसके अलावा, जानकारों का कहना है कि कांग्रेस अभी इस पोजिशन में नहीं है कि बिहार में वह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मोलभाव कर सके. हालांकि माना जा रहा है कि दिल्ली चुनाव के बाद कांग्रेस मोलभाव करने की कोशिश जरूर करेगी, लेकिन वह सफल नहीं हो पाएगी. पार्टी के पास न तो प्रत्याशी बचे हैं और न ही वह अभी तक स्टेट कमेटी बना पाई है. ऐसी पार्टी से मोलभाव की क्या ही उम्मीद की जाए. सूत्र बता रहे हैं कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव कांग्रेस को केवल 40 सीटें देने के मूड में हैं, क्योंकि पिछली बार उसे 70 सीटें दी गई थीं और वह केवल 19 जीतने में ही सक्षम हो सकी. अगर कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा होता तो बिहार में आज तेजस्वी यादव की सरकार होती.
READ ALSO: 20 साल पहले कांग्रेस पर नीतीश कुमार ने जो कहा, वही हुआ, संजय झा ने शेयर किया Video
कांग्रेस के लिए अच्छी बात यह है कि लोकसभा चुनाव में उसका स्ट्राइक रेट बहुत अच्छा रहा और राजद का स्ट्राइक रेट बहुत ही खराब रहा. कांग्रेस 9 सीटों पर लड़कर 3 जीतने में कामयाब रही तो राजद 23 सीटों पर लड़कर केवल 4 सीटें ही जीत पाई थी. इसलिए अगर प्रदर्शन की बात होती है तो कांग्रेस लोकसभा चुनाव में राजद के प्रदर्शन का जिक्र कर सकती है. सूत्र बता रहे हैं कि लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव कांग्रेस की सीटें कम करके भाकपा माले को और अधिक सीटें देने के मूड में हैं. दूसरी ओर, कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने के दावे कर रही है.
हालांकि, लोकसभा चुनाव में गिनती की रैली करने वाले राहुल गांधी 18 दिनों के भीतर दूसरी बार बिहार की राजधानी पटना नाप चुके हैं. मतलब कि बिहार में उनकी सक्रियता बढ़ी है. बहुत संभव है कि वह अप्रैल के शुरुआती हफ्ते में भी बिहार का दौरा करें, क्योंकि तब दिग्गज कांग्रेसी रहे जगजीवन राम की जयंती का मौका होगा. अपने दो दौरों में राहुल गांधी ने मुसलमान और दलितों को अपनी ओर खींचने की कोशिश की थी. इसके अलावा, उन्होंने बिहार के जातिगत जनगणना को फर्जी करार दिया था, जिसका श्रेय राजद नेता तेजस्वी यादव लेते रहे हैं.
READ ALSO: NDA के लिए आसान नहीं होगा इस बार LJPR को एडजस्ट करना, क्या हो सकता है फॉर्मूला?
18 जनवरी, 2024 को कांग्रेस के बिहार मुख्यालय में प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने राहुल गांधी से कहा था, 'आप दक्षिण भारत और यूपी को समय देते हैं. बिहार को भी समय दीजिए. अगर आपने ऐसा किया तो हम 1990 के पहले वाली कांग्रेस खड़ा करके दिखाएंगे.' दूसरी ओर, राहुल गांधी की दिक्कत यह है कि पटना में वह 2 बार आए लेकिन पार्टी के कार्यक्रम के बहाने नहीं, सामाजिक कार्यक्रमों के बहाने आए. उनके कार्यक्रमों की सूचना पार्टी को बाद में मिलती है और सामाजिक नेताओं को पहले मिल जाती है.
बिहार में राहुल गांधी उनको अपील करते हैं, जो राष्ट्रीय जनता दल के कोर वोटर हैं. हाल ही में पसमांदा मुसलमानों के नेता अली अनवर भी कांग्रेस में शामिल हुए हैं. मुसलमान राजद के कोर वोटर हैं और अली अनवर के पार्टी में शामिल होने से कांग्रेस मुसलमानों को एक तरह से अपील करती दिख रही है. दिल्ली विधानसभा चुनावों में जीत के बाद पीएम मोदी ने भाजपा के केंद्रीय कार्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था, बिहार में जातिवाद का जहर फैलाकर कांग्रेस अपनी सहयोगी राजद की पेटेंट जमीन खाने में लगी हुई है. पीएम मोदी ने इस दौरान कांग्रेस को परजीवी पार्टी भी करार दिया था.
READ ALSO: NDA और महागठबंधन होंगे आमने-सामने, मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकते हैं ये दल
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने यह स्पष्ट करने की मांग की थी कि पार्टी तय करे कि एकला चलो की नीति अपनानी है या फिर गठबंधन की राजनीति करनी है. कांग्रेस विधायक प्रतिमा कुमारी ने आवाज उठाई कि कांग्रेस को बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों पर अकेले लड़ना चाहिए. प्रतिमा कुमारी ने कहा, कांग्रेस पूरे देश में क्षेत्रीय दलों से समझौते कर रही है और इसका भारी नुकसान पार्टी को उठाना पड़ रहा है. अब यही समय है सही फैसला लेने का और यही सही समय है. ऐसे ठोस फैसले लेने से आने वाले चुनावों में पार्टी को फायदा हो सकता है.