Supaul News: बिहार के सुपौल जिले में विशेषज्ञों की टीम ने वीरपुर में कोसी नदी के इलाकों में पक्षियों के संरक्षण को लेकर सर्वेक्षण किया है. सर्वेक्षण के बाद उन्होंने कहा कि यहां बर्ड टूरिज्म की असीम संभावना है. अन्य राज्य इससे लाखों-करोड़ों रुपये कमा रहे हैं.
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Supaul News: बिहार के सुपौल जिले में पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से विशेषज्ञों की टीम ने वीरपुर में कोसी नदी के इलाकों में पक्षियों के संरक्षण को लेकर सर्वेक्षण किया है. जिसके पश्चात उन्होंने कहा कि यहां बर्ड टूरिज्म की असीम संभावना है. दरअसल विशेषज्ञों की एक टीम ने पूर्वी कोसी तटबंध के किनारे पर दूरबीन और कैमरे की मदद से विलुप्त हो रही पक्षियों का निरीक्षण किया है. इस दौरान टीम के सर्वेक्षण में पाया गया कि कई दुर्लभ प्रजातियों की पक्षियों की संख्या में गिरावट हो रही है. दरअसल पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन विभाग और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी मुंबई द्वारा एशियन वाटर बर्ड सेंसस कार्यक्रम 2025 पक्षी गणना के तहत निरीक्षण के लिए कोसी के इलाके में विरपुर पहुंची. जिसमें राष्ट्रीय डॉल्फिन शोध केंद्र पटना के अंतरिम निदेशक डॉ. गोपाल शर्मा और उनकी टीम के साथ आए पूर्व महाप्रबंधक बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम नवीन कुमार, सेवानिवृत्त कर्नल अमित सिन्हा, समाजसेवी शील आशीष ने कोसी नदी के कई किलोमीटर क्षेत्र का सर्वेक्षण किया.
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पक्षियों के सर्वेक्षण के दौरान टीम ने करीब 50 किलोमीटर के क्षेत्र में जलाशयों और सरोवरों में करीब एक हजार लेजर व्हिस्टलिंग टिल पक्षी को दर्ज किया गया. विशेषज्ञों ने कहा कि कोसी नदी का पर्यावरण इन पक्षियों के लिए अनुकूल है. इस दौरान टीम ने कहा कि हम लोगों ने पाया है कि दो प्रकार के ऐसे पक्षी हैं जो संकटग्रस्त प्रजाति के हैं. पूरी दुनिया में उसे संकटग्रस्त घोषित किया गया है. कहा कि यहां हजारों की संख्या बत्तख की प्रजाति के पक्षी पाए गए हैं.
जिसमें से कुछ बत्तख की प्रजाति दुर्लभ प्रजाति के हैं. कुछ ऐसे पक्षी भी हैं जो साइबेरिया से आते हैं. कुछ पक्षी ऐसे हैं जो यूरोप से आते हैं. कहा कि इसके अलावा देसी चिड़िया भी काफी संख्यां में यहां मौजूद हैं. जिसको इस इलाके में देखा गया है. इस प्रकार से विभिन्न प्रकार के और विभिन्न प्रजाति के चिड़िया इस इलाके में पाए गए हैं.
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उन्होंने कहा कि अगर सरकार चाहे और लोग मददगार हो तो इस इलाके में बर्ड टूरिज्म को विकसित किया जा सकता है. जिस नदी का हमलोगों ने निरीक्षण किया है, इनमें बर्ड टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा सकता है. बर्ड टूरिज्म मिलियन डॉलर बिजनेस है. हालांकि, इस प्रकार की शुरुआत हमारे राज्य में अबतक नहीं हुई है, लेकिन अन्य राज्यों में इस प्रकार के टूरिज्म को बढ़ावा दिया गया है. जहां लोग लाखों करोड़ों रूपये कमा रहे हैं. हमारे राज्य में भी इसकी असीम संभावना है.
इनपुट - सुभाष झा
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