Valentine Day Special: बिहार-केरल की अनोखी Love Story, बेतिया के इस दंपति की कहानी बनी मिसाल
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Valentine Day Special: बिहार-केरल की अनोखी Love Story, बेतिया के इस दंपति की कहानी बनी मिसाल

Unique Love Story: ओमप्रकाश क्रांति और अमृतम प्रकाश की प्रेम कहानी 1989 में दिल्ली एयरपोर्ट से शुरू हुई और केरल में कोर्ट मैरिज के बाद बेतिया में खुशी-खुशी बसी. 35 साल बाद भी उनका प्रेम आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा है.

Valentine Day Special Unique love story of couple from Bettiah Bihar and Kerala

Valentine Day Special Love Story: वैलेंटाइन डे के मौके पर आज हम आपको एक ऐसी प्रेम कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो न सिर्फ दिल को छू लेगी, बल्कि आज के युवाओं के लिए प्रेम और विवाह की सच्ची मिसाल भी पेश करेगी. यह कहानी है ओमप्रकाश क्रांति और अमृतमा प्रकाश की, जिन्होंने प्रेम विवाह को आदर्श बनाकर 35 सालों से एक खुशहाल जीवन जी रहे हैं.  

दिल्ली एयरपोर्ट पर हुई थी पहली मुलाकात
यह कहानी शुरू होती है साल 1989 से, जब ओमप्रकाश क्रांति और अमृतमा प्रकाश की पहली मुलाकात दिल्ली एयरपोर्ट के अजय भवन में हुई. दोनों मास्को में पढ़ाई करने जा रहे थे. पहली ही मुलाकात में दोनों एक-दूसरे के दिल में बस गए. मास्को में पढ़ाई के दौरान वे कई बार मिले और धीरे-धीरे उनका प्रेम गहराता गया.

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वापसी पर प्रेम का इजहार
1990 में जब दोनों भारत वापस लौटे, तो उन्होंने एक-दूसरे से अपने प्रेम का इजहार किया और शादी करने का फैसला लिया. ओमप्रकाश ने अपने माता-पिता को अपने प्रेम के बारे में बताया. हालांकि, उस दौर में प्रेम विवाह को लेकर समाज में काफी रूढ़िवादी सोच थी. ओमप्रकाश के माता-पिता के लिए यह फैसला लेना आसान नहीं था, क्योंकि अमृतमा केरल की रहने वाली थीं, उनकी जाति और भाषा अलग थी. अमृतमा को न तो हिंदी आती थी और न ही भोजपुरी.

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माता-पिता ने दी शादी की इजाजत
लेकिन ओमप्रकाश के सच्चे प्रेम को देखकर उनके माता-पिता ने हां कर दी. उन्होंने ओमप्रकाश को केरल जाकर अमृतमा को लाने का आदेश दिया. ओमप्रकाश ने अमृतमा को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने कहा कि वे उन्हें लेने आ रहे हैं. 27 जनवरी 1990 को ओमप्रकाश अपने दोस्त बृजेश मिश्रा के साथ केरल के कुमली पहुंचे. अमृतमा के माता-पिता ने उनका स्वागत किया और 1 फरवरी 1990 को दोनों की कोर्ट मैरिज हुई.

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बेतिया में हुआ भव्य स्वागत
12 फरवरी को ओमप्रकाश और अमृतमा बिहार के बेतिया पहुंचे. रेलवे स्टेशन पर पूरे परिवार ने उनका भव्य स्वागत किया. अमृतमा को हिंदी और भोजपुरी नहीं आती थी, लेकिन उनके सास-ससुर ने उन्हें सीखने में मदद की. उन्होंने मलयालम से हिंदी ट्रांसलेट की किताब खरीदी और धीरे-धीरे अमृतमा ने हिंदी और भोजपुरी बोलना सीख लिया.  

35 साल बाद भी कायम है प्रेम
आज ओमप्रकाश और अमृतमा की शादी को 35 साल हो चुके हैं. उनके तीन बेटियां और एक बेटा है. बेटा इंजीनियर है और बेटियां डॉक्टर. उनका परिवार आज भी हंसी-खुशी से भरा हुआ है. ओमप्रकाश कहते हैं, "हमारा सनातन धर्म प्रेम की बुनियाद पर टिका है. राधा-कृष्ण और शिव-पार्वती का प्रेम आत्मीय था, शारीरिक आकर्षण पर आधारित नहीं. हमारा प्रेम आज भी वैसा ही है, जैसा 35 साल पहले था."  

अमृतमा कहती हैं, "शादी के बाद लड़कियों को अपने ससुराल में एडजस्ट करना सीखना चाहिए. सास-ससुर और परिवार के साथ अनुशासन में रहना जरूरी है. अगर आज की लड़कियां यह समझ जाएं, तो उनका प्रेम विवाह भी सफल होगा. प्रेम हमारे सनातन धर्म की खूबसूरती है."

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