पटना से सटे जानीपुर निवासी और एरावत संस्था के मुख्य प्रबंधक 50 वर्षीय अख्तर इमाम ने अपने हाथियों मोती और रानी के नाम सारी प्रॉपर्टी लिख दी है.
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पटना: केरल में गर्भवती हथिनी 'विनायकी' की हत्या के बाद से हाथी काफी चर्चा में हैं. एक तरफ केरल में जहां गर्भवती हाथी को धोखे से पटाखों से भरा अनानास खिलाकर मार दिया गया तो वहीं दूसरी तरफ एक बिहारी शख्स ने अपनी पूरी जायदाद ही अपने दोनों हाथियों के नाम लिख दी है.
पटना से सटे जानीपुर निवासी और एरावत संस्था के मुख्य प्रबंधक 50 वर्षीय अख्तर इमाम ने अपने हाथियों मोती और रानी के नाम सारी प्रॉपर्टी लिख दी है. हालांकि उनके ऐसा करने के बाद से उनका अपना परिवार ही उनका दुश्मन बन गया हैं. अख्तर का पूरा जीवन साथियों के लिए ही समर्पित है.
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अख्तर इमाम बताते हैं कि एक बार उनपर जानलेवा हमला हुआ था. उसी दौरान उनके हाथी ने ही उनकी जान बचाई थी. अख्तर ने बताया कि, 'एक बार पिस्तौल हाथ में लिए बदमाश जब मेरे कमरे की तरफ बढ़ने लगे तो मेरा हाथी उसे देखकर चिघ्घाड़ने लगा इसी बीच मेरी नींद खुल गई और मैंने शोर मचाया तो बदमाश भाग निकले.'
अख्तर की कहानी थोड़ी अजीबोगरीब है. अख्तर बताते हैं कि उनके बेटे ने अपनी ही प्रेमिका के दुष्कर्म का झूठा आरोप लगाकर उन्हें जेल भिजवा दिया था. मगर जांच में यह बात गलत पाई गई. अख्तर का आरोप है कि उनके बेटे मेराज ने पशु तस्करों के साथ मिलकर उनके हाथियों को बेचने की भी कोशिश की थी. लेकिन वह पकड़ा गया.
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उन्होंने कहा कि मैंने अपनी पूरी जायदाद दोनों हाथियों के नाम कर दी है. अगर हाथी नहीं रहे तो भी मेरे परिवार के किसी भी सदस्य को कुछ नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा कि वह 10 साल से अपनी बीवी और बच्चों से अलग रह रहे हैं.
एरावत संस्था के प्रमुख अख्तर बताते हैं कि वह 12 साल की उम्र से ही हाथियों की सेवा कर रहे हैं. पारिवारिक विवाद होने की वजह से आज से 10 साल पहले उनकी पत्नी दो बेटे और बेटी के साथ मायके चली गई थी. उन्होंने अपने बड़े बेटे मेराज उर्फ रिंकू के दुर्व्यवहार और गलत रास्ते पर जाते देख उसे जायदाद से वंचित कर दिया है.
उन्होंने पत्नी को आधी जायदाद लिख दी है और अपने हिस्से की लगभग 5 करोड़ रुपए की जायदाद खेत-खलिहान, मकान, बैंक बैलेंस सभी दोनों हाथियों के नाम कर दिया है. अख्तर का कहना है कि अगर दोनों हाथियों की मौत हो जाती है तो यह जायदाद एरावत संस्था को चली जाएगी.
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