Dalai Lama Z Security: सुरक्षा इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की खतरे की रिपोर्ट के बाद गृह मंत्रालय ने बौद्ध धर्म के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा को Z श्रेणी की सुरक्षा देने का फैसला किया है. 89 साल के आध्यात्मिक गुरु को कुल 33 सुरक्षाकर्मी मिलेंगे, जिनमें 12 कमांडो और 6 PSO शामिल हैं.
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Dalai Lama Z Security: भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने बौद्ध धर्म के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा को Z श्रेणी की सुरक्षा देने का फैसला किया है. यह सुरक्षा इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की खतरे की रिपोर्ट के आधार पर दी गई है. Z श्रेणी की सुरक्षा के तहत कुल 33 सुरक्षाकर्मी दलाई लामा की सुरक्षा में तैनात रहेंगे.
89 साल के आध्यात्मिक गुरु को कुल 33 सुरक्षाकर्मी मिलेंगे, जिनमें उनके घर पर तैनात सशस्त्र स्टैटिक गार्ड, चौबीसों घंटे सुरक्षा प्रदान करने वाले निजी सुरक्षा अधिकारी और शिफ्ट में सशस्त्र अनुरक्षण करने वाले कमांडो शामिल हैं. इसके अलावा, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षित ड्राइवर और निगरानी कर्मी हर वक्त पर ड्यूटी में रहेंगे.
Union Home Ministry has granted Z-category Central Reserve Police Force security to Tibetan spiritual leader Dalai Lama across India: Sources
— ANI (@ANI) February 13, 2025
कैसी होगी सुरक्षा व्यवस्था?
33 सिक्योरिटी फोर्सेज में 10 सशस्त्र स्टैटिक गार्ड जो उनके घर पर रहेंगे. वहीं, 6 निजी सुरक्षा अधिकारी (PSO) जो चौबीसों घंटे उनके साथ मौजूद रहेंगे. साथ ही 12 कमांडो जो तीन शिफ्टों में उन्हें सुरक्षा देंगे. 2 वॉचर्स जो शिफ्ट में निगरानी करेंगे. 3 ट्रेंड ड्राइवर, जो हर समय उनके काफिले में साथ रहेंगे. इसके अलावा, उनकी सुरक्षा के लिए विशेष निगरानी और अन्य व्यवस्थाएँ भी लागू की गई हैं.
कौन हैं बौद्ध धर्म के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा?
दलाई लामा का जन्म सन् 1935 में ल्हामो थोंडुप के रूप में हुआ था. जब वे 2 साल के थे, तब उन्हें उनके पूर्ववर्ती तिब्बती धर्मगुरु का पुनर्जन्म माना गया. साल 1940 में उन्हें तिब्बत की राजधानी ल्हासा में 14वें दलाई लामा के रूप में मान्यता दी गई.
वहीं, 1950 में चीन ने तिब्बत पर हमला किया. इसके बाद सन 1959 में चीन के खिलाफ एक विद्रोह असफल हो गया, जिसके कारण दलाई लामा भारत आ गए. तब से वे हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासन में रह रहे हैं. उनके अहिंसा और शांति के प्रयासों के लिए सन 1989 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.