Kolkata Doctor rape murder case verdict: कोलकाता की अदालत द्वारा आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या के आरोपी संजय रॉय को आजीवन उम्र कैद की सजा सुनाई जाने के बाद भी डॉक्टर बेटी को इंसाफ दिलाने की लड़ाई जारी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए 22 जनवरी को सुनवाई के लिए ये केस लिस्टेड किया है.
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RG Kar Hospital Doctor rape murder case: आरजी कर अस्पताल की ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर के मामले में स्पीडी ट्रायल में दोषी करार दिए गए संजय रॉय (RG Kar case Sanjay Roy) को मरते दम तक उम्र कैद की सजा सुनाई गई. बहुत से लोगों ने इस सजा को त्वरित इंसाफ तो किसी ने इसे अधूरा न्याय कहा. वहीं आरोपी को मौत की सजा न मिलने पर कुछ महिलाओं ने हैरानी भी जताई. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए 22 जनवरी को सुनवाई के लिए मामला लिस्टेड किया है. सीजेआई संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच सजा पर सुनवाई करेगी.
सजा सही है या नहीं तय करेगा सुप्रीम कोर्ट
दरअसल देश में इस बात पर बहस जारी है कि #RGKarCase में आजीवन कारावास की सज़ा सही है या नहीं, सुप्रीम कोर्ट कल प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हुए जघन्य बलात्कार और हत्या के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई करेगा. दिल्ली के निर्भयाकांड के 12 साल साल लगभग वैसी ही हैवानियत का मामला जब कोलकाता में सामने आया तो बेटियों और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर देशव्यापी प्रदर्शन हुए.
ममता बनर्जी ने की थी मौत की सजा की मांग
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को आरजी कर अस्पताल में हुई घटना को एक ‘दुर्लभ, जघन्य और संवेदनशील अपराध’ करार देते हुए कहा कि अगर कोई अपराध करने के बाद बच निकलता है, तो वह दोबारा ऐसा करेगा और ‘उसे संरक्षण देना हमारा काम नहीं है’.
यहां अस्पताल में महिला चिकित्सक से दुष्कर्म और उसकी हत्या के एकमात्र दोषी संजय रॉय को सियालदह अदालत द्वारा सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा के आदेश को लेकर पंश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने निराशा व्यक्त की. उन्होंने कहा कि वह दोषी के लिए सजा ए मौत की मांग कर रही हैं.
बनर्जी ने मालदा में एक जनसभा में कहा, 'अगर कोई इतना राक्षसी और बर्बर है, तो समाज मानवीय कैसे रह सकता है? हमने अपराजिता विधेयक पारित किया, लेकिन केंद्र उस पर कब्जा जमाए बैठा है. हमने उस विधेयक में मृत्युदंड को शामिल किया है और हम चाहते हैं कि यह देश के लिए एक आदर्श बने.'
बनर्जी ने सोमवार को सियालदह अदालत के आदेश पर असंतोष व्यक्त किया था और दावा किया था कि राज्य पुलिस से जबरन जांच छीन ली गई. उन्होंने कहा कि अगर राज्य पुलिस के पास जांच होती तो वे मौत की सजा दिलाते.
बनर्जी ने कहा, ‘अगर किसी को आजीवन कारावास की सजा दी जाती है, तो वह व्यक्ति पैरोल पर रिहा हो सकता है. मैं अधिवक्ता रहीं हूं और मैने कई मामले लड़े हैं. सियालदह अदालत के न्यायाधीश ने कहा कि यह दुर्लभ से दुर्लभतम मामला नहीं है और मृत्युदंड नहीं दिया जा सकता. अगर यह दुर्लभ से दुर्लभतम मामला नहीं है तो और क्या है.’
हाईकोर्ट पहुंची बंगाल सरकार
बनर्जी ने बाद में सोशल मीडिया मंच ‘X’ पर पोस्ट किया कि राज्य सरकार सियालदह अदालत के फैसले को चुनौती देगी और कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह दुर्लभ, संवेदनशील और आरोपी द्वारा किया गया जघन्य अपराध है.’
सितंबर 2024 में पश्चिम बंगाल विधानसभा द्वारा पारित अपराजिता विधेयक का मकसद दुष्कर्म और अन्य यौन अपराधों के लिए सजा को मौत की सजा और आजीवन कारावास तक बढ़ाना है. इस बीच, कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार को सियालदह अदालत के उस आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति दे दी, जिसमें दोषी रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता ने मामले में एकमात्र दोषी रॉय को मृत्युदंड देने के अनुरोध को लेकर जस्टिस देबांगसु बसाक की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष अपील दायर की थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का ये ताजा अपडेट सामने आया. (एजेंसी इनपुट)