कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष तिवारी ने प्रणब दा पर निशाना साधा, तो दूसरी ओर रेणुका चौधरी ने इसे मनीष तिवारी का व्यक्तिगत बयान बता दिया.
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नई दिल्ली: नागपुर में गुरुवार (7 जून) को आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के जाने के मुद्दे पर कांग्रेस अभी शांत नहीं हुई है. इस मुद्दे पर कांग्रेस दो धड़ों में बंटती नजर आ रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष तिवारी ने प्रणब दा पर निशाना साधा, तो दूसरी ओर रेणुका चौधरी ने इसे मनीष तिवारी का व्यक्तिगत बयान बता दिया. उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे मुखर्जी ने कांग्रेस के तमाम नेताओं के विरोध के बावजूद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवकों के प्रशिक्षण वर्ग के समापन कार्यक्रम को संबोधित करने के लिए नागपुर के रेशमबाग स्थित आरएसएस मुख्यालय पहुंचे थे.
मनीष तिवारी ने शुक्रवार (8 जून) को एक के बाद एक ट्वीट कर प्रणब मुखर्जी से पूछा कि आखिर वे क्यों संघ के कार्यक्रम में गए थे. तिवारी ने ट्वीट किया, 'प्रणब मुखर्जी मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहता हूं, जिसका जवाब मुझे अभी तक नहीं मिला है जो कि देश के लाखों धर्मनिरपेक्ष और बहुलवादी लोगों को परेशान करने वाला है. आपने संघ के मुख्यालय जाने और वहां राष्ट्रवाद पर उपदेश देने का फैसला क्यों किया?'
-@CitiznMukherjee May I ask you a question that you still have not answered that is bothering millions of Secularists&Pluralists.Why did you choose go to the RSS headquarters & deliver homilies on Nationalism?Your generation cautioned mine in training camp after training camp 1/2
— Manish Tewari (@ManishTewari) June 8, 2018
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, '80 और 90 के दशक में आपकी पीढ़ी ने मुझे संघ के उद्देश्य और और संरचना के बारे में आगाह किया था. 1975 में जब केंद्र सरकार ने संघ पर प्रतिबंध लगाया था उस दौरान आप सरकार में थे और फिर 1992 में भी. क्या आपको यह नहीं लगता कि आपको यह बताना चाहिए कि संघ में उस वक्त क्या बुरा था, जोकि अब सही हो गया है? या फिर 80 और 90 के दशक में संघ के बारे में हमें जो बताया गया वो गलत था.''
2/2 thru 80’s &90’s about the intent & designs of https://t.co/LfXXRNck0b were a part of the Govt that banned RSS in 1975 & then again in 1992. Don’t you think you should tell us what was evil about RSS then that has become virtuous now? Either what we were told then was wrong2/2
— Manish Tewari (@ManishTewari) June 8, 2018
हालांकि कांग्रेस की एक अन्य नेता रेणुका चौधरी ने मनीष तिवारी के बयान को ज्यादा तवज्जो नहीं दिया. उन्होंने कहा, 'यह उनका (मनीष तिवारी का) निजी बयान है. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को कहां जाना है, किनसे मिलना है... इसका फैसला वो खुद करेंगे. यह उनका अधिकार है.'
संघ के कार्यक्रम में क्या बोले प्रणब मुखर्जी
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार (7 जून) को बहुलतावाद एवं सहिष्णुता को 'भारत की आत्मा' करार देते हुए आरएसएस को परोक्ष तौर पर आगाह किया कि ‘धार्मिक मत और असहिष्णुता’ के माध्यम से भारत को परिभाषित करने का कोई भी प्रयास देश के अस्तित्व को कमजोर करेगा. प्रणब दा ने यह बात नागपुर के रेशमबाग स्थित आरएसएस मुख्यालय में कही. उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपने सार्वजनिक विमर्श को सभी प्रकार के भय एवं हिंसा, भले ही वह शारीरिक हो या मौखिक, से मुक्त करना होगा.’’ मुखर्जी ने देश के वर्तमान हालात का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘प्रति दिन हम अपने आसपास बढ़ी हुई हिंसा देखते हैं. इस हिंसा के मूल में भय, अविश्वास और अंधकार है.’’
मुखर्जी ने कहा कि असहिष्णुता से भारत की राष्ट्रीय पहचान कमजोर होगी. उन्होंने कहा कि हमारा राष्ट्रवाद सार्वभौमवाद, सह अस्तित्व और सम्मिलन से उत्पन्न होता है. उन्होंने राष्ट्र की परिकल्पना को लेकर देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के विचारों का भी हवाला दिया. उन्होंने स्वतंत्र भारत के एकीकरण के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रयासों का भी उल्लेख किया.
प्रणब मुखर्जी ने RSS को उसके मुख्यालय में ही आईना दिखा दिया हैः कांग्रेस
मुखर्जी ने कहा, ‘‘भारत में हम सहिष्णुता से अपनी शक्ति अर्जित करते हैं और अपने बहुलतावाद का सम्मान करते हैं. हम अपनी विविधता पर गर्व करते हैं.’’ पूर्व राष्ट्रपति ने आरएसएस कार्यकर्ताओं के साथ राष्ट्र, राष्ट्रवाद एवं देशप्रेम को लेकर अपने विचारों को साझा किया. उन्होंने प्राचीन भारत से लेकर देश के स्वतंत्रता आंदोलत तक के इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा राष्ट्रवाद ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ तथा ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ जैसे विचारों पर आधारित है. उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रवाद में विभिन्न विचारों का सम्मिलन हुआ है. उन्होंने कहा कि घृणा और असहिष्णुता से हमारी राष्ट्रीयता कमजोर होती है.
मुखर्जी ने राष्ट्र की अवधारणा को लेकर सुरेन्द्र नाथ बनर्जी तथा बालगंगाधर तिलक के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा राष्ट्रवाद किसी क्षेत्र, भाषा या धर्म विशेष के साथ बंधा हुआ नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारे लिए लोकतंत्र सबसे महत्वपूर्ण मार्गदशर्क है. उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रवाद का प्रवाह संविधान से होता है. ‘‘भारत की आत्मा बहुलतावाद एवं सहिष्णुता में बसती है.’’ उन्होंने कौटिल्य के अर्थशास्त्र का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने ही लोगों की प्रसन्नता एवं खुशहाली को राजा की खुशहाली माना था.
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने सार्वजनिक विमर्श को हिंसा से मुक्त करना होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में हमें शांति, सौहार्द्र और प्रसन्नता की ओर बढ़ना होगा. मुखर्जी ने कहा कि हमारे राष्ट्र को धर्म, हठधर्मिता या असहिष्णुता के माध्यम से परिभाषित करने का कोई भी प्रयास केवल हमारे अस्तित्व को ही कमजोर करेगा.
(इनपुट एजेंसी से भी)